
नागपुर एयरपोर्ट (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur Aviation City: नागपुर एयरपोर्ट के संबंध में देखते-देखते चार ‘अनमोल वर्ष’ निकल गए। खुशखबरी नहीं मिल पाई। यह स्थिति तब है जब सिटी के दो बड़े दिग्गज राजनेता प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद आश्वस्त होकर कहते हैं कि सारी अड़चनें दूर हो गई हैं। बस 15 दिनों में खुशखबरी मिल जाएगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी कई बार प्रयास कर चुके हैं और अब वे ‘मायूस’ हो चुके हैं।
सवाल यह उठता है कि जब दोनों नेता इतने ‘आत्मविश्वास’ के साथ आश्वासन देते हैं, तो फिर ‘फाइल’ को अटका कौन रहा है? इस बीच राज्य सहित आस-पास के राज्यों में एविएशन सेक्टर तेजी से ‘उड़ान’ भर रहा है। यह सिटी के लिए बड़ी चिंता की बात है। यह नेतागण भी जानते हैं परंतु अफसोस यह कि उनके प्रयासों को अधिकारीगण ‘पलीता’ लगाने पर तुले हुए हैं।
जब भी पूछा जाता है कि यही जवाब हर ओर से मिलता है कि फाइल कैबिनेट मंजूरी के लिए पड़ी है। सारे मामलों को निपटा दिया गया और बस अब मंजूरी मिल जाएगी लेकिन यह मामला कैबिनेट के समक्ष आ ही नहीं रहा है। इतना ही नहीं, कई बार यह भी बताया गया कि अब तक दर्जनों बार अलग-अलग ‘रोड़ा’ अटकाया गया और सभी का समाधान राज्य सरकार की ओर से किया गया।
रोड़ा अटकना और रोड़े का हल निकालने में ही 4 वर्ष का वक्त लग गया है। सिटी की जनता भी इस मामले को भूल गई है। जो जानकार हैं, वे निराश हो चुके हैं। जो विकास चाहते हैं, वे उम्मीद खोते जा रहे हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि नागपुर का विकास होगा तो कैसे और कब।
सवाल यह उठता है कि जब हम राजनीतिक तौर से इतने मजबूत हैं और हर क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहे हैं, ऐसे में एक ‘प्रोजेक्ट’ को लटकाये रखने का औचित्य क्या है? उद्योग क्षेत्रों में लाखों करोड़ का निवेश आ रहा है। एविशएन, डिफेंस, कृषि, लाजिस्टिक सेक्टर में आगे बढ़ रहे हैं। बुनियादी सुविधाएं शानदार हो चुकी हैं। अधिकांश स्टेशन अपग्रेड हो रहे हैं।
ट्रेनों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है। वंदे भारत ट्रेन मिल रही है। ऐसे में केवल एविशएन सेक्टर ही पीछे कैसे रह जा रहा है? मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रयासों से नवी मुंबई एयरपोर्ट उड़ान भर चुका है। तीसरे एयरपोर्ट की बात वे कर रहे हैं। ऐसे में गृहनगर के प्रोजेक्ट को उड़ान भरने से रोक कौन रहा है?
निरंतर नागपुर को ग्लोबल सिटी बनाने की बात हो रही है। कई प्रोजेक्ट लाने में सफलता भी मिली है परंतु एयरपोर्ट जैसे अहम प्रोजेक्ट में हम पीछे रह जा रहे हैं। एयरपोर्ट के विकास की गति को देखकर तो कम से कम यही कहा जा सकता है। अब कुछआ चाल बोलना भी उचित नहीं लगता। हर बार सुई कहीं एक जगह अटक जाती है। इस बार लेट के लिए जिम्मेदार ‘कैबिनेट मंजूरी’ को माना जा रहा है। कैबिनेट के पास फाइल पिछले 5-6 माह से पड़ी है, लेकिन इस पर चर्चा ही नहीं हो रही है।
पाइंट
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद जनवरी के पहले सप्ताह में ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जमीन हस्तांतरण की घोषणा की थी। इसके बाद जीएमआर को हवाई अड्डा देने का रास्ता साफ हो गया था, लेकिन तब से लेकर अब तक फाइलें प्रक्रियाओं के दौर से ही गुजर रही हैं। मई में उम्मीद जागी थी। फिर जून-जुलाई भी गुजर गया और अब दिसंबर में भी उम्मीद टूटती नजर आने लगी है। फाइल को अंतिम मंजूरी नहीं मिल पायी।
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एविएशन सेक्टर के जानकारों का कहना है कि एयरपोर्ट हस्तांतरण में जितना विलंब होगा चुनौतियां उतनी अधिक बढ़ती जाएगी क्योंकि नागपुर को हैदराबाद, रायपुर, भोपाल, शिर्डी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इन एयरपोर्टों का विकास भी काफी तेजी से हो रहा है। खासकर हैदराबाद इस मामले में काफी आगे निकल चुका है।
जिस प्रकार प्रोजेक्ट को ग्लोबल बनाने की दिशा में पहल होती है, प्रशासनिक कार्य पद्धति ग्लोबल नहीं हो पा रहा है। कार्य भी ग्लोबल तरीके से ही करना होगा, तभी चीजें समय पर पूर्ण होगा और फल भी अपेक्षित मिलेंगे। दोनों नेता ग्लोबल लुक देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
मेट्रो से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक के कार्य हो रहे हैं परंतु जब बात एयरपोर्ट की आती है, तो यहां पर हम ‘स्वदेशी’ हो जा रहे हैं। न ही एयरपोर्ट ‘ग्लोबल’ बन रहा है और न ही हम ‘ग्लोब’ को जोड़ पा रहे हैं। दोनों ही पैमानों पर सिटी बुरी तरह से पिछड़ रही है और सभी खामोशी से इन बातों को देख रहे हैं।






