काली पूजा 31 अक्टूबर को (सौ.सोशल मीडिया)
पुणे- दुर्गा पूजा के बाद काली पूजा की जाने वाली है इसकी तैयारी में बंगाली समुदाय जुट गया है जहां पर बंगीय संस्कृति संसद कमेटी द्वारा कांग्रेस भवन शिवाजीनगर में 31 अक्टूबर को काली पूजा का आयोजन किया गया है। दिवाली के अवसर पर बंगाली समुदाय काली पूजा करते है। यहां पुणे शहर में कांग्रेस भवन शिवाजीनगर, काली बड़ी खड़की समेत कई जगह पर आयोजन किया जाता है।
इस दौरान बंगाली समुदाय के लोग एक साथ आते है. सभी मंदिर या पंडाल में पहुंचते है. इस दौरान अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. कमिटी द्वारा पुणे में पिछले 84 वर्षों से काली माता पूजा का त्यौहार मनाया जा रहा है।
आपको बताते चलें कि, बंगीय संस्कृति संसद कमेटी द्वारा 31 अक्टूबर को शाम से देर रात तक काली पूजा का आयोजन किया गया है। इस दौरान शाम को संगीत व भजन का आयोजन होगा जिसके बाद रात 9 बजे के बाद काली माता की पूजा शुरु की जाएगी जो पूजा देर रात 12 बजे तक चलती है, जिसके बाद भक्तों द्वारा माता को अंजली दी जाती है, फिर महाप्रसाद का वितरण किया जाता है। महाप्रसाद के रूप में भोग में खिचड़ी खाया जाता है। मंदिर परिसर में मौजूद सभी भक्त इससे ग्रहण करते है, इस दौरान करीब 500 लोग पहुंचते है।
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सभी काली माता का पूजा व दर्शन करते है. महाप्रसाद के बाद सुबह काली माता की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। दरअसल दीपावली का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन बंगाली परिवारों में दीपावली की रात माता लक्ष्मी की जगह मां काली की पूजा करने का विधान है. दीपावली की आधी रात में पूजा कर मां काली को भोग लगाया जाता है और इस बार बंगाली समाज में काली पूजा 31 अक्टूबर दिन गुरुवार को होगी।
देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं के स्वरूपों में माता काली प्रमुख स्थान पर हैं यहां पर माता काली की पूजा अर्चना करने से सभी तरह के भय और नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती हैं। साथ ही सभी रोग और दोष से भी मुक्ति मिलती है, माता काली की पूजा करने से सभी ग्रहों का शुभ प्रभाव पड़ता है और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, राहु-केतु की शांति के लिए माता काली की पूजा करना सबसे अच्छा उपाय है। काली माता की पूजा मात्र से ही सभी तरह तंत्र मंत्र का प्रभाव भी खत्म हो जाता है।