वर्धा जिले में लम्पी से 8 जानवरों की मृत्यु (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha News: लम्पी स्किन डिज़ीज़ एक वायरसजनित और संक्रामक रोग है, जो मवेशियों में होता है। वर्तमान में यह बीमारी जिले में तेजी से फैल रही है। अब तक इस बीमारी की वजह से 8 जानवरों की मौत हो चुकी है, जबकि 71 जानवर समय पर इलाज मिलने से पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। फिलहाल 35 जानवरों का इलाज चल रहा है। विशेष रूप से हिंगनघाट और समुद्रपुर तहसीलों में अब तक लम्पी का कोई मामला सामने नहीं आया है। यह रोग नीथलिंग वायरस के कारण होता है।
इसके प्राथमिक लक्षणों में जानवर को तेज बुखार आना और त्वचा पर गांठें उभरना शामिल हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है। कुछ समय पहले जिले में जानवरों को रोकथाम के लिए वैक्सीन भी दी गई थी, लेकिन बरसात के मौसम में यह बीमारी दोबारा फैलने लगी है। जिले में अब तक 71 जानवरों का समय पर इलाज हुआ और वे पूरी तरह स्वस्थ हो गए। 8 जानवरों की मौत हुई। 35 जानवरों का इलाज जारी है। आर्वी तहसील में अब तक सबसे ज्यादा 60 जानवर लम्पी से संक्रमित पाए गए।
इस बिमारी में जानवरो में तेज बुखार आना, त्वचा पर 10 से 15 मिमी व्यास की गांठें, मुंह, नाक और आंखों में घाव, आंखों में घाव के कारण दृष्टि प्रभावित होना, चारा चबाने में कठिनाई, दूध उत्पादन में कमी, पैरों में सूजन और लंगड़ाना, गर्भवती जानवरों में गर्भपात आदि लक्षण पाये जाते है़ इससे बचने के लिए संक्रमित जानवरों को अन्य स्वस्थ जानवरों से अलग रखें। नियमित रूप से पशुशाला की सफाई करें। लक्षण दिखने पर नजदीकी सरकारी पशु चिकित्सालय से तुरंत संपर्क करें और डॉक्टर की सलाह से इलाज करवाएं।
वर्धा जिले में वर्ष 2022 में भी लम्पी ने कहर बरपाया था। अब यह बीमारी दोबारा फैलने लगी है।पशुपालकों को चाहिए कि वे अपने जानवरों की बारीकी से निगरानी करें और लक्षण दिखते ही तत्काल सरकारी पशु चिकित्सालय ले जाएं। जिले के 105 पशु चिकित्सालयों में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध हैं। समय पर इलाज मिलने पर जानवर पूरी तरह ठीक हो सकता है, ऐसा पशु चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है।
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पशुपालन विभाग के जिला उपायुक्त डॉ. जगदीश बुकतरे ने बताया कि जिले की छह तहसीलों में लम्पी स्किन डिज़ीज़ के मामले सामने आए हैं। यदि समय पर इलाज किया जाए, तो जानवर पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है। पशुपालकों को चाहिए कि वे जानवरों की सही देखभाल करें,पशुशाला की सफाई रखें और नियमित निरीक्षण करें। यदि किसी जानवर पर गांठें नजर आएं तो तुरंत नजदीकी सरकारी पशु चिकित्सक से संपर्क करें।