
चार देशों में जल प्रलय से मची भारी तबाही, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Natural Disaster Asia: एशिया के कुछ हिस्सों में आए भीषण चक्रवात और बाढ़ ने जनजीवन को तबाह कर दिया है। इंडोनेशिया, श्रीलंका, थाईलैंड और मलेशिया में अब तक 1,400 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि हजारों लोग अभी भी लापता हैं। सबसे ज्यादा तबाही इंडोनेशिया में हुई है, जहां 753 लोगों की मौत हुई है।
श्रीलंका में 465 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, हालांकि राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके का कहना है कि मौतों का सही आंकड़ा बताना अभी जल्दबाजी होगी। थाईलैंड में 185 और मलेशिया में तीन लोगों की मौत की जानकारी सामने आई है।
बाढ़ के कारण कई गांव कीचड़ और मलबे में दब गए हैं, जिससे रेस्क्यू टीमों के लिए राहत कार्य कठिन हो गया है। बुधवार को बचाव दल तेजी से प्रभावित इलाकों में पहुंचने की कोशिश कर रहे थे, क्योंकि 1,000 से ज़्यादा लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। कई इलाकों में बिजली और संचार व्यवस्था ठप पड़ी है।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और पुनर्निर्माण में मदद का वादा किया। हालांकि उन्होंने अभी तक राष्ट्रीय आपातस्थिति घोषित नहीं की है और न ही अंतरराष्ट्रीय सहायता मांगी है, जबकि श्रीलंका पहले ही वैश्विक मदद की अपील कर चुका है।
श्रीलंका इस समय गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिससे राहत और पुनर्निर्माण का काम और कठिन हो गया है। प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या ने विदेशी राजनयिकों से मुलाकात कर राहत कार्यों में सहायता की अपील की है। संसाधनों की कमी, विदेशी मुद्रा संकट और सीमित सार्वजनिक सेवाएं स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना रही हैं।
इंडोनेशिया में इस बार की तबाही को 2018 के सुलावेसी भूकंप और सुनामी के बाद सबसे गंभीर आपदा बताया जा रहा है। नॉर्थ सुमात्रा, वेस्ट सुमात्रा और आचे प्रांतों में लगभग 650 लोग लापता हैं। सड़क और पुल टूटने से राहत कार्य बेहद धीमे चल रहे हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी ने बताया कि इस आपदा में 1.5 मिलियन से ज्यादा लोग बेघर हुए हैं और हजारों घरों व सार्वजनिक सुविधाओं को नुकसान पहुंचा है। अस्पतालों में जगह खत्म होने के कारण सरकार ने तीन हॉस्पिटल शिप तैनात किए हैं।
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भारत, पाकिस्तान और UAE जैसे देशों ने पहले ही राहत कार्यों में सहायता भेजनी शुरू कर दी है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री से मिले अन्य विदेशी प्रतिनिधियों ने भी मदद का भरोसा दिलाया है।






