आषाढ़ी एकादशी का अद्भुत पर्व (सौजन्यः सोशल मीडिया)
सोलापुर: “पुंडलीक वरदा हरी विठ्ठल!” की गूंज से पंढरपुर की गलियां गूंज रही हैं। वारकरी संप्रदाय के भक्त अभंग गाते हुए विठ्ठल-माई के चरणों में समर्पण भाव से जुटे हैं। इस अद्भुत श्रद्धा और प्रेम के माहौल को देखते हुए श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर के कपाट आज से 24 घंटे के लिए खुले रहेंगे ताकि हर भक्त भगवान विठ्ठल और माता रुक्मिणी के दर्शन कर सके। मंदिर समिति के सह-अध्यक्ष गहिनीनाथ महाराज औसेकर ने बताया कि इस ऐतिहासिक निर्णय का उद्देश्य देशभर से आए लाखों श्रद्धालुओं को किसी भी समय दर्शन की सुविधा देना है।
पंढरपुर में आषाढ़ी एकादशी पर मानो श्रद्धा का सागर उमड़ पड़ा है। हजारों वारकरी टोलियां विठ्ठल नाम का जाप और अभंग-कीर्तन करते हुए नगर में प्रवेश कर रही हैं। हर कदम पर “राम कृष्ण हरि”, “विठ्ठल विठ्ठल” की आवाज से वातावरण भक्तिमय हो गया है। पुणे, मुंबई, नासिक, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना समेत कई राज्यों से लोग पैदल यात्रा कर यहां पहुंचे हैं। शहर में रोशनी, तोरण, झंडे और फूलों से भव्य सजावट की गई है। श्रद्धालुओं के लिए यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि अपने आराध्य से मिलने का आत्मिक पर्व है।
गहिनीनाथ महाराज औसेकर ने बताया कि आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर आने वाली भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि मंदिर के कपाट बिना रुके 24 घंटे खुले रहेंगे। भक्त किसी भी समय आकर भगवान विठ्ठल और माता रुक्मिणी के दर्शन कर सकते हैं। इसके लिए दर्शन व्यवस्था को और अधिक व्यवस्थित किया गया है। कतारों को नियंत्रित करने के लिए वालंटियर और पुलिस तैनात की गई है। औसेकर ने कहा, “भगवान विठ्ठल हर भक्त के दिल में बसे हैं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी भक्त बिना दर्शन लौटे नहीं।”
महिला, बुजुर्ग और दिव्यांग भक्तों के लिए अलग कतारें बनाई गई हैं। पीने के पानी के कूलर, मोबाइल टॉयलेट और स्वास्थ्य शिविरों की व्यवस्था की गई है। पूरे मंदिर परिसर में सफाई अभियान चलाया गया है। सुरक्षा के लिए सैकड़ों पुलिसकर्मी, राज्य रिजर्व बल और स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं। सीसीटीवी कैमरों से लगातार निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।
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पंढरपुर के श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर को दक्षिण भारत का पांडुरंग तीर्थ कहा जाता है। आषाढ़ी एकादशी को भगवान विठ्ठल अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए प्रतीक्षा करते हैं। यह मान्यता वारकरी परंपरा की आत्मा है। माना जाता है कि इस दिन किए गए दर्शन से हर पाप मिटता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
भक्त अभंग गाते हुए कहते हैं “माझे माहेर पंढरी, आता विठ्ठल दयाळु।”
मंदिर समिति और प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे प्रशासन द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करें, धैर्य रखें और किसी भी अफवाह या अफरा-तफरी से बचें। समिति ने आश्वासन दिया कि हर भक्त को भगवान के दर्शन का अवसर मिलेगा। औसेकर ने कहा, “यह पर्व केवल यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और भक्ति का उत्सव है। आइए इसे मिलकर सफल और शांतिपूर्ण बनाएं।”