शरद पवार (सोर्स: सोशल मीडिया)
कोल्हापुर: महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर बढ़ते विरोध के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के अध्यक्ष शरद पवार अपनी प्रतिक्रिया दी है। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के लोग हिंदी के विरोधी नहीं हैं। लेकिन इसे थोपा नहीं जाना चाहिए।
शुक्रवार को शरद पवा ने कहा कि महाराष्ट्र के लोग हिंदी विरोधी नहीं हैं, लेकिन पहली कक्षा से चौथी तक के विद्यार्थियों पर यह भाषा थोपना उचित नहीं है। पत्रकारों से बातचीत के दौरान पवार ने कहा कि देश की 55 प्रतिशत आबादी हिंदी बोलती है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
शरद पवार की यह टिप्पणी महाराष्ट्र में भाषा विवाद के बीच आई है, जो पिछले सप्ताह राज्य सरकार द्वारा एक संशोधित आदेश जारी करने के बाद शुरू हुआ था। इसमें कहा गया था कि हिंदी को आम तौर पर कक्षा एक से पांच तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा।
पवार ने कहा कि पहली कक्षा से लेकर चौथी कक्षा के विद्यार्थियों पर हिंदी थोपना सही नहीं है। इस उम्र में मातृभाषा ज़्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पांचवी कक्षा के बाद ऐसा किया जाता है तो यह उनके हित में होगा, क्योंकि भारत में 55 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के लोग हिंदी के विरोधी नहीं हैं।
शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे द्वारा इस संबंध में घोषित प्रदर्शनों के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि अगर ठाकरे चाहते हैं कि सभी राजनीतिक दल प्रदर्शनों में शामिल हों, तो हमें इस मुद्दे पर उनका रुख और सटीक योजना जानने की जरूरत है।
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बता दें कि शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) संयुक्त रूप से 5 जुलाई को राज्य सरकार के ‘त्रिभाषा नीति’ के तहत कक्षा 4 तक हिंदी को अनिवार्य बनाने के कथित कदम के खिलाफ विरोध मार्च का आयोजन करेंगे।