नासिक कुंभ-फाइल फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nashik Kumbh: सिंहस्थ कुंभ मेले के मद्देनजर मनपा और राज्य सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा कराए जा रहे सभी कार्य उच्च गुणवत्ता वाले और दीर्घकालिक हों, यह सुनिश्चित करने के लिए कुंभ मेला प्राधिकरण ने एक बड़ा फैसला लिया है। प्राधिकरण ने काम पूरा होने के बाद उसकी गुणवत्ता की जांच के लिए एक त्रयस्थ संस्था (थर्ड पार्टी) नियुक्त करने का निर्णय लिया है। इसके लिए बाकायदा निविदा (टेंडर) जारी की गई है। इस निर्णय से गलत इरादे से नाशिक में प्रवेश करने वाले और स्थानीय नगरसेवकों को उप-ठेकेदार बनाकर काम कराने का इरादा रखने वाले लोगों में हड़कंप मच गया है।
प्राधिकरण ने पहले चरण में मनपा सहित अन्य विभागों के 5140 करोड़ रुपये के विकास कार्यों को मंजूरी दी है। इसमें से 3,056 करोड़ रुपये के विकास कार्यों के लिए निविदाएं जारी की जा चुकी हैं। विभागीय आयुक्त डॉ. प्रवीण गेदाम ने इन कार्यों में पारदर्शिता, गति और गुणवत्ता लाने के लिए कार्यों की चरणबद्ध वीडियो रिकॉर्डिंग करने और जियो टैग रखने के निर्देश दिए हैं। विशेष रूप से सड़कों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए ठेकेदारों की एक बैठक में उन्होंने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा, भ्रष्टाचार करोगे तो जेल जाओगे। इसके बाद, ठेकेदारों के बिल जारी करने के लिए भी मानक निर्धारित किए गए।
अधिनियम 2015 की धारा 15 के अनुसार, नाशिक-त्र्यंबकेश्वर कुंभ मेला प्राधिकरण को केंद्र/राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, सरकारी कंपनियों या निगमों से प्राप्त होने वाली धनराशि को कार्यान्वयन एजेंसी को तुरंत वितरित करने के लिए एक कार्यप्रणाली निर्धारित की गई है। उपलब्ध धनराशि के अनुपात में, कार्य आरंभ आदेश जारी होने के बाद ही ठेकेदारों को राशि का भुगतान किया जाएगा। निधि वितरण की एक सख्त कार्यप्रणाली भी निश्चित की गई है। ठेकेदारों के लिए यह अनिवार्य है कि वे निधि की मांग करने पर पूरे किए गए कार्यों के दस्तावेज एजेंसी को सौंपें। एजेंसी द्वारा जांच के बाद ही धनराशि वितरित करने के निर्देश हैं। यदि कार्य संतोषजनक नहीं पाया गया, तो ठेकेदार को निधि नहीं मिलेगी। इन नियमों को निर्धारित करने के बाद, पूरे किए गए कार्यों का थर्ड पार्टी द्वारा लेखा परीक्षण (ऑडिट) किया जाएगा।
यह दूसरी बार है जब डॉ. प्रवीण गेदाम कुंभ मेला प्रमुख के रूप में कमान संभाल रहे हैं। 2015 के सिंहस्थ कुंभ मेले के दौरान भी तत्कालीन आयुक्त डॉ. गेडाम ने रिंग रोड, साधुग्राम, जल आपूर्ति और अन्य निर्माण संबंधी कार्यों के संबंध में स्पष्ट रुख अपनाया था और चेतावनी दी थी कि भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों को जेल की हवा खानी पड़ेगी। परिणामस्वरूप, कई कार्य अच्छी तरह से पूरे हुए, जिसका रिंग रोड एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
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थर्ड पार्टी के माध्यम से कार्यों का निरीक्षण करवाने का फॉर्मूला भी डॉ. गेदाम ने ही सबसे पहले शुरू किया था। उस समय एमवीईसी, केके वाघ इंजीनियरिंग कॉलेज, और सरकारी पॉलिटेक्निक के माध्यम से कार्यों की गुणवत्ता जांची गई थी। अब सिंहस्थ प्राधिकरण ने सीधे निविदा जारी की है और विशेषज्ञ इंजीनियरों वाली संस्थाओं से प्रस्ताव मांगे गए हैं। महापालिका सहित सरकार के लगभग 22 कार्यालयों द्वारा किए गए कार्यों की जाँच की जाएगी।