विधायकों पर मनमानी का आरोप (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nashik News: नासिक जिला योजना बोर्ड की ओर से नगर पालिकाओं को मिलने वाली विकास निधि को लेकर अब विधायकों और नगराध्यक्षों के बीच तकरार शुरू हो गई है। कुछ विधायकों ने यह रुख अपनाया है कि उनके निर्वाचन क्षेत्रों की नगर पालिकाओं को बिना उनसे पूछे कोई निधि न दी जाए। इससे नगर पालिकाओं के प्रस्तावों को मंजूरी मिलने में दिक्कत आ रही है।
इसी बात का विरोध करने के लिए जिले के कुछ नगराध्यक्षों और पार्षदों ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर अपनी बात रखी। उनका कहना है कि अगर राजनीति के आधार पर काम किया गया, तो विरोधी पार्टियों के पार्षदों वाले वार्डों में विकास रुक जाएगा, जिसका सीधा असर नागरिकों पर पड़ेगा। यह मुद्दा नासिक जिले की दो महानगर पालिकाओं और कुछ अन्य नगर पालिकाओं के मामले में सामने आया है।
कुछ विधायकों ने नगर पंचायत विभाग और जिला योजना बोर्ड के अधिकारियों को साफ कहा है कि उनके विधानसभा क्षेत्र से आने वाले किसी भी प्रस्ताव को उनकी अनुमति – के बिना मंजूर न किया जाए। जिलाधिकारी कार्यालय के अधिकारी भी मानते हैं की अनुमति के बिना फंड जारी नहीं किया जा सकता। इस संबंध में सुरगाणा के नगराध्यक्ष वाघ, कलवण के नगराध्यक्ष कौतिक पगार और दिंडोरी के पूर्व नगरसेवक सचिन देशमुख सहित कई जनप्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी जलज शर्मा से मिलकर अपनी दलीलें पेश कीं।
कर कटौती पर भी सवाल नगर पालिका प्रतिनिधियों ने इस बैठक में कर कटौती के नियम पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि निर्माण विभाग को नगर पालिकाओं द्वारा भेजे गए प्रस्तावों की राशि पर 1।25 प्रतिशत का टैक्स देना होता है। अक्सर होता यह है कि 10 करोड़ के प्रस्ताव में से सिर्फ 1 करोड़ ही मंजूर होता है, लेकिन कर पूरे 10 करोड़ पर लगाया जाता है। उन्होंने मांग की कि टैक्स केवल स्वीकृत राशि पर ही लगना चाहिए।
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जनप्रतिनिधियों ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि जहां नगर पालिकाओं में प्रशासनिक नियम लागू होते हैं, वहां विधायकों की सिफारिश समझ आती है, लेकिन जहीं पार्षद नियम लागू होते है। वहां विधायकों की अनुमति की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए। इन सभी मुद्दों पर जिलाधिकारी जलज शर्मा ने कहा कि वह पूरे मामले की जांच के बाद ही कोई फैसला लेंगे।