हिंगना एमआईडीसी (सौजन्य-नवभारत)
Hingana News: हिंगना एमआईडीसी के कुछ कारखाने बंद होने का सिलसिला पिछले कुछ वर्षों से निरंतर जारी है। इन कारखानों की जगह नामचिन कंपनियों के शोरुम, गोडाऊन, होटल, कॉलेजों ने ले ली है। इसमें कारखानों की तुलना में सिर्फ 10 प्रतिशत बेरोजगारों को ही रोजगार मिल रहा है। इस वजह से परिसर के अधिकांश युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं।
‘बेरोजगारी’ हिंगना औद्योगिक क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है। दिनों-दिन रोजगार की समस्या गंभीर रूप धारण कर रही है। इसका मूल कारण है, हिंगना औद्योगिक परिसर की बड़ी-बड़ी कंपनियों का बंद होना। इसमें स्ट्रेच सायबर, फर्थ इंडिया, रविन्द्र स्टील, हरिगंगा महाराष्ट्र एंटीबायोटीक, फेकार वीआइपी कलकत्ता आयर्न जैसी कई कंपनिया हैं, जिसमें हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा था।
ऐसी कंपनियां 200 से ज्यादा है। कारखानों के बंद होने से बेरोजगार हुए स्थानीय नागरिक जहां काम मिले वहां करने को तैयार है, क्योंकि उन्हें दो वक्त की रोटी मिलनी चाहिए। कुछ बेरोजगारों ने फुटपाथ पर छोटी सी दुकान डालकर अपने परिवार पालन-पोषण करने की कोशिश कर रहे हैं।
शासन ने किसानों की खेती की जमीन उद्योग शुरू करने के लिए ली थी, वह जमीन अन्य व्यवसाय के लिए इस्तेमाल की जा रही है। कंपनियों में जितने कामगार काम करते थे उनमें से सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों को ही रोजगार उपलब्ध हो रहा है, क्योंकि गोडाउन तथा व्यवसायों में काम की कमी होने से मैन पावर कम लगता है। कंपनियों में कामगारों की हमेशा जरूरत होती थी।
हिंगना औद्योगिक परिसर को कुछ वर्ष पहले रोजगार का क्षेत्र माना जाता था। उस समय परिसर के सभी कारखाने चल रहे थे, पर अब हालात बदल गए हैं। बहुत सारी कंपनियां कभी भी बंद कर दी जाती हैं। कारखानदारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन कारखाने में काम करने वाले मजदूर को आसमान गिरने जैसी हालत हो जाती है।
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हिंगना एमआईडीसी की हालत देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इसके लिए स्थानिक जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार है। परिसर के कारखानों के जगहों पर बनने वाले, गोडाउन, शोरुम, कॉलेज आदि का विरोध आज तक किसी ने नहीं किया। हिंगना एमआईडीसी परिसर को पहले जैसे बनाने के लिए प्रयास करना जरुरी है।
कारखाना बंद करते समय कामगार उसके परिवार का पालन-पोषण कर सके इसलिए उसे अन्य जगह काम देना चाहिए। साथ ही कारखाना बंद करते समय कामगारों को उसका पीएफ जैसे पैसे दिलाने के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए।