लाडकी बहिन योजना (फाइल फोटो)
Ladki Bahin Yojana in Nagpur: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित हुई लाडली बहन योजना को सरकार बंद नहीं करेगी लेकिन योजना के लिए अपात्र बहनों का नाम सूची से कम करने का कार्य चल रहा है। नागपुर जिले में ही 84 हजार बहनें अपात्रता वाली सूची में हैं। इसमें 50 हजार शहर की तो 34 हजार के करीब ग्रामीण भागों की हैं।
ये लाडली बहनें संदेह के घेरे में हैं और विभाग सभी की आंगनवाड़ी सेविकाओं के माध्यम से जांच करने वाला है। अपात्र सूची में तीन वर्ग किये गए हैं जिसमें अपात्र अविवाहित, अपात्र विवाहित महिला व 65 वर्ष से ऊपर व 21 वर्ष उम्र से कम महिला शामिल हैं। 65 वर्ष से अधिक व 21 वर्ष आयु से कम श्रेणी में 9217 लाडली बहनें हैं जिनका लाभ बंद किया जाएगा। कहा जा रहा है कि अपात्र साबित होने वालों से पैसे भी वापस लेने का विचार सरकार कर रही है।
सरकार ने अपील की थी कि जो योजना की शर्तों के तहत नहीं आते और लाभ ले रहे हैं वे खुद ही योजना की पात्रता छोड़े दें लेकिन अपील को खास प्रतिसाद नहीं मिला। हालत यह है कि एक घर की सभी महिलाएं लाभ उठा रही हैं तो कहीं सक्षम महिलाएं भी लाडली बहनें बनी हुई हैं। ऐसी 11 बहनों के खिलाफ तो शिकायत भी प्राप्त हुई है। बता दें कि लाडली बहन योजना के लिए जिले में कुल 5,80,413 आवेदन आए थे। इनमें से 5,19,267 मंजूर और 61,146 आवेदन नामंजूर किये गए थे।
लाडकी बहिन योजना के लिए राज्य सरकार केंद्र सरकार से 1.36 लाख करोड़ रुपए का कर्ज भी उधार ले चुकी है। इसी पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने अब 10 में से चार योजनाओं, ‘मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन’, ‘मुख्यमंत्री वयोश्री’, ‘एक रुपए में फसल बीमा’ और ‘मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना‘ को अब स्थगित कर दिया। वित्त विभाग की माने तो रिपोर्टों में दावा किया गया है कि चार योजनाओं पर ब्रेक लगाने से हर महीने सरकार के तीन से साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए बचेंगे।
साल 2025-26 के लिए मुख्यमंत्री युवा कार्यक्रम योजना के तहत युवाओं का पंजीकरण बंद कर दिया गया है और वर्तमान प्रशिक्षुओं को जून-जुलाई का वजीफा नहीं मिला है। इसी तरह लड़कियों के लिए मुफ्त उच्च शिक्षा, नमो शेतकरी महासम्मान योजना, मोदी आवास योजना और ई-पिंक रिक्शा योजनाओं का भविष्य भी अधर में लटका है।
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तो वहीं सरकार लाडली का भार कम करने के लिए लाभार्थी महिलाओं की संख्या घटाने की कोशिश में जुटी है। इसके अलावा, सरकार ने बेमौसम और भारी बारिश से किसानों को होनेवाले नुकसान की भरपाई के लिए दोगुना मुआवजा देने का भी फैसला किया गया था। जो कि फिलहाल रद्द कर दिया गया है।