नागपुर. सूरजागढ़ में अवैध उत्खनन का मामला हाल ही में हुए विधानमंडल के शीत सत्र के दौरान विधानसभा में जमकर गरमाया. अब इसी मुद्दे को लेकर समरजीत चैटर्जी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विभागीय अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए. उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार, केंद्रीय कोयला व खान मंत्रालय के सचिव, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय सचिव, विशेषज्ञों की समिति के चेयरमैन, राज्य पर्यावरण मंत्रालय के प्रधान सचिव, जल विभाग के सहसंचालक को भी जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. वैरागडे और केंद्र सरकार की ओर से एनएस देशपांडे ने पैरवी की.
याचिकाकर्ता की ओर से अर्जी दायर कर याचिका के कारण प्रभावित होने वाली कंपनी लायड्स मेटल एंड एनर्जी लि. को प्रतिवादी बनाने की अनुमति मांगी गई जिस पर सुनवाई कर अदालत ने प्रतिवादी बनाने की अनुमति प्रदान की. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि उत्पादन क्षमता की तुलना में उक्त कंपनी को उससे अधिक 50 प्रतिशत उत्खनन करने की अनुमति केंद्र सरकार ने प्रदान की है. यह उत्खनन के लिए निर्धारित दिशानिर्देश और नियमों के विपरीत है. प्रशासन को इस संदर्भ में सचेत करते हुए ज्ञापन भी सौंपा गया किंतु इसे दरकिनार कर अनुमति प्रदान की गई.
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि उत्खनन के ऐसे प्रकल्प के पूर्व जनसुनवाई करना जरूरी है. इसके लिए पूरी प्रक्रिया तय है. यदि विस्तार भी करना हो तो इसके लिए नियमों के अनुसार जनसुनवाई होनी चाहिए किंतु नियमों के अनुसार जनसुनवाई नहीं होने के कारण उत्खनन की क्षमता का विस्तार करना गैरकानूनी हो रहा है. उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर अतिरिक्त उत्खनन होने के आरोप लगाए गए थे. समझौते के अनुसार लौह खनिज सर्वप्रथम विदर्भ के उद्योगों को देना है. वह भी वाजिब दामों पर उपलब्ध कराना है. अत: उत्खनन के लिए आवंटित की गई लीज के अनुसार लोह खनिज की बिक्री पर नियंत्रण रखने के आदेश कंपनी को देने का अनुरोध अदालत से किया गया था.