हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
Nagpur News: ‘एक वकील-एक वोट’ के सिद्धांत को लागू करने की मांग करते हुए अधिवक्ता मोहन सुदामे की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। इस पर दोनों पक्षों के बीच सुनवाई के दौरान कड़े कानूनी संघर्ष के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर और न्यायाधीश रजनीश व्यास ने हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (एचसीबीए) के आगामी चुनावों में ‘एक वकील-एक वोट’ के सिद्धांत को तत्काल लागू करने का अंतरिम निर्देश जारी किया।
याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि एचसीबीए को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम बी.डी. कौशिक’ (2011) मामले में दिए गए कानून के सिद्धांत का पालन करना चाहिए। यह सिद्धांत बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा 28 सितंबर 2015 और बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा द्वारा 13 अक्टूबर 2015 को जारी पत्रों के माध्यम से लागू किया गया था।
याचिका में यह घोषित करने की मांग की गई थी कि जो भी सदस्य एचसीबीए चुनाव में मतदान करेगा, उसे यह घोषणा करनी होगी कि वह किसी अन्य बार एसोसिएशन या एडवोकेट्स एसोसिएशन के चुनाव में मतदान नहीं करेगा। यदि वह ऐसा करता है तो उसकी एचसीबीए सदस्यता स्थायी रूप से निलंबित की जा सकती है।
कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष एचसीबीए और प्रतिवादी चुनाव समिति को चुनाव कार्यक्रम के अनुसार चुनाव कराने या यदि आवश्यक हो तो इसे पुनर्निर्धारित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी माना कि राइट टू वोट (मतदान का अधिकार) न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक अधिकार है बल्कि यह विशुद्ध रूप से एक सांविधिक अधिकार है जिसे नियमों/विनियमों द्वारा प्रतिबंधित किया जा सकता है।
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एचसीबीए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील मनोहर ने ‘वन बार वन वोट’ की स्थिति पर विवाद नहीं किया लेकिन तर्क दिया कि इस नीति को धीरे-धीरे लागू किया जाना चाहिए क्योंकि चुनाव पहले ही घोषित हो चुके हैं। हस्तक्षेप करने वाले वकीलों ने याचिका का विरोध इस आधार पर किया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2011 में आया था और याचिका 14 साल बाद दायर की गई है।
इसलिए इस नियम को आगामी चुनाव में लागू नहीं किया जाना चाहिए किंतु कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करने में पहले ही देरी हो चुकी है और ‘एक बार एक वोट’ की नीति को लागू करने के लिए किसी और घटना (जैसे लखनऊ में वकीलों के अभद्र व्यवहार) का इंतजार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि निर्देशों को जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए और इसे इसी चुनाव से प्रभावी किया जाना चाहिए।