हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
Nagpur News: महानगरपालिका के चुनाव को लेकर भले ही प्रक्रिया काफी आगे बढ़ गई है और हाल ही में राज्य चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची का प्रारूप भी घोषित करने का खुलासा किया गया है। इसके बावजूद महाराष्ट्र महानगरपालिकाओं की वर्तमान मतदान प्रक्रिया और प्रभाग प्रणाली को चुनौती देते हुए अधिवक्ता मृणाल चक्रवर्ती ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
गुरुवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिका में विधि एवं न्याय विभाग को प्रतिवादी बनाए जाने पर हाई कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए दीपावली अवकाश के बाद तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी। मनपा द्वारा अधिवक्ता जैमिनी कासट ने पैरवी की। याचिका में राज्य सरकार के नगर विकास विभाग और राज्य चुनाव आयोग को प्रतिवादी बनाया गया।
याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मृणाल चक्रवर्ती ने कहा कि महाराष्ट्र राज्य विधानमंडल ने 18 मार्च 2024 को महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम में संशोधन किया और चार-वार्ड प्रणाली लागू की। इसके बाद 10 जून 2025 को वार्ड गठन के लिए आदेश जारी किया गया। राज्य चुनाव आयोग ने 9 सितंबर 2025 को महानगरपालिका चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के उपयोग की जानकारी दी।
आरक्षण योजनाओं के अनुसार, उम्मीदवारों को 4 समूहों में वर्गीकृत किया गया है और मतदान के लिए मशीनों के 4 सेट का उपयोग किया जाता है। याचिकाकर्ता के अनुसार सबसे बड़ी समस्या यह है कि प्रत्येक मतदाता को एक वर्गीकृत समूह से केवल एक उम्मीदवार के लिए वोट डालना आवश्यक है। यदि कोई मतदाता एक वर्गीकृत समूह से एक से अधिक उम्मीदवार को वोट देना चाहता है तो मशीन केवल एक वोट स्वीकार करती है जो कि वोट देने की स्वतंत्रता (अभिव्यक्ति) में प्रतिबंध है।
याचिका में तर्क दिया गया है कि मतदान मतदाता की अभिव्यक्ति है। संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अनुच्छेद 19 के खंड (2) में उल्लेखित कारणों के अलावा किसी अन्य कारण से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि मतदाता को अपनी पसंद के उम्मीदवार के प्रदर्शन में प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। याचिका के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 254 के तहत एक ही निर्वाचन क्षेत्र में एक से अधिक बार मतदान करने का प्रावधान करने वाला कोई भी कानून लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62(4) के विपरीत है और इस प्रकार शून्य (void) है।
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