नागपुर महानगर पालिका भवन (सोर्स: सोशल मीडिया)
Maharashtra nikay chunav: महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर राज्य चुनाव आयोग द्वारा दिशानिर्देश जारी किए जाने के बाद प्रभाग रचना का प्रारूप तैयार किया गया। स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर 23 जून को जारी सुधारित दिशानिर्देशों के अनुसार प्रभाग रचना पर अंतिम मुहर राज्य सरकार द्वारा लगाई जानी है। यही कारण है कि मनपा की ओर से सरकार के विचारार्थ प्रभाग रचना का प्रारूप प्रस्तुत किया गया।
इसी बीच सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी महाराष्ट्र निकाय चुनाव में 27 प्रतिशत के आरक्षण को हरी झंडी दे दी है। इससे अब ओबीसी आरक्षण के बिना ही स्थानीय निकाय चुनाव होने की अटकलों पर पूर्ण विराम लग गया है।
ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गत समय कोई भी स्पष्ट निर्देश नहीं होने के कारण कोर्ट के बाहर इस मसले को लेकर राजनीति शुरू हो गई थी। अब सुको के आदेश से 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव होना तय है।
नए सिरे से 4 सदस्यीय प्रभाग पद्धति के लिए प्रभाग रचना की प्रक्रिया का निर्धारण किया जा रहा है। 2017 का ही फॉर्मूला तो लिया जाना है लेकिन प्रक्रिया पूरी करनी ही होगी। प्रभाग भले ही 2017 के अनुसार हों किंतु नए सिरे से प्रभाग आरक्षण का निर्धारण करना होगा जिससे प्रभागों के समीकरण फिर एक बार बदलने की संभावना है।
नियमों के अनुसार प्रारूप प्रभाग रचना की घोषणा होने के बाद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के साथ ही ओबीसी के लिए आरक्षण की लाटरी निकाली जाएगी। किन प्रभागों में अनुसूचित जाति वर्ग और अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिला और पुरुष का वार्ड आरक्षित होगा, इस लाटरी में सुनिश्चित किया जाएगा।
जानकारों की मानें तो 156 सदस्य संख्या वाली नागपुर महानगर पालिका में 50 प्रतिशत महिला आरक्षण के कारण कुल 78 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इसी में 60 सीटें छोड़ 12 सीटें अनुसूचित जाति महिला तथा 6 सीटें अनुसूचित जनजाति महिला के लिए आरक्षित की जाएंगी। ऐसे ओबीसी को कितने सीटें मिलती हैं यह देखने वाली बात होगी।
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कुल जनसंख्या – 24,47,494
अनुसूचित जाति – 4,80,759
अनुसूचित जनजाति – 1,88,444
राजनीतिक जानकारों की मानें तो यदि प्रभाग रचना की अंतिम घोषणा अक्टूबर के पहले सप्ताह खत्म होने के बाद हो रही हो तो आगे की प्रक्रिया के लिए आवश्यक समय के अनुसार चुनाव दिसंबर में कराने होंगे। ऐसे में विधानसभा की शीतकालीन सत्र का समय होने के कारण इस दौरान चुनाव संभव नहीं होंगे।
चूंकि चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान होते ही आचार संहिता लागू होती है। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से कोई लाभार्थी घोषणा नहीं की जा सकेगी। अत: शीत सत्र के दौरान राज्य के लिए फील गुड फैक्टर देने के बाद ही जनवरी 2026 अंत तक चुनाव होने की संभावना है।