
परियोजना स्थल TATR से 1.25 किमी दूर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: चंद्रपुर जिले में दुर्गापुर डीप एक्सटेंशन ओपन कास्ट प्रोजेक्ट के लिए वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (WCL) को 374.90 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित करने का निर्णय लिया गया है। इस भूमि पर कुल 25,587 पेड़ हैं और रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर की रिपोर्ट के अनुसार इन पेड़ों की क्षति होगी। पर्यावरण पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव को देखते हुए प्रकृति फाउंडेशन की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी।
हाई कोर्ट के आदेशों के पालन में अब WCL की ओर से परियोजना स्थल से ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (TATR) के बफर और ईएसजेड की सीमाओं से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस पर जवाब दायर करने के लिए समय मांगे जाने के बाद न्यायमूर्ति अनिल किल्लोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की खंडपीठ ने सुनवाई स्थगित कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता महेश धात्रक ने पैरवी की।
यह मामला दुर्गापुर ओपन कास्ट माइन के लिए 121.58 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन से जुड़ा है। परियोजना हेतु यह वन भूमि 2010 से अधिग्रहीत की गई है। WCL द्वारा वन मंजूरी के लिए प्रस्ताव 26 अप्रैल 2011 को प्रस्तुत किया गया था। परियोजना को चरण-I वन मंजूरी 16 दिसंबर 2015 को प्राप्त हुई, जिसके बाद स्टेज-I मंजूरी के लिए आवश्यक अनुपालन पूरे कर संबंधित प्राधिकरण के पास रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। पर्यावरण मंजूरी 10 नवंबर 2017 को प्रदान की गई थी। प्रस्तुत दस्तावेज़ों में परियोजना की भौगोलिक स्थिति का विस्तृत ब्यौरा शामिल है। वन्यजीव संस्थान, देहरादून ने 121.58 हेक्टेयर भूमि के डायवर्जन प्रस्ताव पर मूल्यांकन रिपोर्ट भी प्रस्तुत की थी।
ये भी पढ़े: पार्टियों को सता रहा मत विभाजन का खतरा, स्थापित बड़े नेताओं के बीच वर्चस्व की जंग और तेज
कोर्ट में दायर रिपोर्ट में बताया गया है कि 121.58 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन का प्रारंभिक प्रस्ताव तब दिया गया था जब सक्षम प्राधिकारी ने TATR के लिए ईको-सेंसिटिव ज़ोन को अधिसूचित नहीं किया था। TATR के लिए ईएसजेड अधिसूचना 11 सितंबर 2019 को जारी हुई।
ईएसजेड का उद्देश्य संरक्षित क्षेत्रों के चारों ओर शॉक एब्जॉर्बर अथवा ट्रांज़िशन ज़ोन की तरह कार्य करना है, ताकि इन क्षेत्रों में होने वाली गतिविधियों को विनियमित किया जा सके। अधिसूचना के अनुसार ईएसजेड TATR की सीमा के चारों ओर 3 से 10 किलोमीटर तक विस्तृत है और इसका कुल क्षेत्रफल 1,346.61 वर्ग किलोमीटर है। ईएसजेड के भीतर व्यावसायिक खनन जैसी गतिविधियाँ निषिद्ध श्रेणी में आती हैं।






