
बाबासाहब आंबेडकर के शिक्षा दर्शन पर राष्ट्रीय चर्चा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में ‘शिक्षा का इतिहास और दलितों, आदिवासियों एवं महिलाओं की मुक्ति’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय इंटरचेयर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर अध्ययन विभाग और सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (अभिमत) विश्वविद्यालय, पुणे के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता डॉ. अविनाश फुलझेले ने कार्यकारी कुलपति डॉ. माधवी खोड़े-चावरे के मार्गदर्शन में की। उद्घाटन सत्र में जेएनयू, नई दिल्ली के प्रोफेसर सुरेश बाबू मुख्य अतिथि एवं उद्घाटनकर्ता के रूप में उपस्थित थे। सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर विभागाध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने कार्यक्रम का परिचय प्रस्तुत किया।
अपने उद्घाटन भाषण में प्रो. सुरेश बाबू ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के शिक्षा दर्शन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने आंबेडकर के छात्र जीवन के अनुभवों, जॉन डेवी के साथ उनके बौद्धिक संबंधों और मनोविज्ञान से सामाजिक मनोविज्ञान तक की उनकी विचार यात्रा का विश्लेषण किया। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. अविनाश फुलझेले ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने शिक्षा के साथ-साथ ‘शीला’ (अच्छे आचरण) को भी समान रूप से महत्व दिया। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति नहीं, बल्कि नैतिकता और व्यवहार में सुधार का भी माध्यम है।
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कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुनीता सावरकर ने किया, जबकि डॉ. गौतम कांबले ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इसके बाद हुई पैनल चर्चा में मयूर कुडुपड़े, मोनालिसा बेहरा और डॉ. लक्ष्म वेंकटरमन ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रो. रमेश शंभरकर, डॉ. मंगेश जुनघरे, डॉ. मोहन वानखेड़े, डॉ. सरोज डांगे, सहायक प्रोफेसर हेमांगी कडलक, सहित एम.ए. के प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्र तथा विश्वविद्यालय के शिक्षकगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे।






