
डेढ़ लाख में कैसे साकार होगा घरकुल
Gadchiroli News: अपना खुद का घर होना हर गरीब परिवार का सपना होता है। इसी उद्देश्य से सरकार ने प्रत्येक जरूरतमंद को घर उपलब्ध कराने के लिए घरकुल योजना शुरू की है। लेकिन वर्तमान में बढ़ती महंगाई के बीच केवल डेढ़ लाख रुपये की राशि में घर बनाना लाभार्थियों के लिए असंभव सा हो गया है।
सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना, रमाई आवास योजना और शबरी आवास योजना जैसी योजनाओं के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों को 1.5 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है। हालांकि, ईंट, सीमेंट, लोहा, रेत और मजदूरी के दामों में भारी वृद्धि होने से घरकुल निर्माण की लागत कई गुना बढ़ गई है। ऐसी स्थिति में मात्र डेढ़ लाख रुपये में घर बनाना गरीब परिवारों के लिए एक कठिन चुनौती बन गया है।
लाभार्थियों को अपने सपनों का घर बनाने के लिए बैंक, पतसंस्थाओं, बचत समूहों और निजी साहूकारों से कर्ज लेना पड़ रहा है। कई लोगों ने खेती की जमीन गिरवी रखी है, तो कुछ ने अपना पशुधन बेचकर घर निर्माण शुरू किया है। घरकुल योजना का सपना अब कर्ज के जाल में फंसता नजर आ रहा है।
सरकार द्वारा लाभार्थियों को 5 ब्रास रेत देने की योजना लागू की गई है, लेकिन यह योजना अधिकांश मामलों में केवल कागजों तक सीमित दिख रही है। कई लाभार्थियों को बाजार भाव पर रेत खरीदनी पड़ रही है, जिससे निर्माण खर्च और बढ़ रहा है।
निर्माण सामग्रियों की बढ़ती कीमतों के कारण अधिकांश घरकुल लाभार्थी कर्ज में डूब गए हैं। वर्तमान स्थिति में घरकुल योजना का उद्देश्य हर व्यक्ति को घर देना अधूरा होता दिख रहा है। सरकार को केवल अनुदान देने तक सीमित न रहकर, वास्तविक निर्माण खर्च को ध्यान में रखकर नई योजना लागू करनी चाहिए। ग्रामीण इलाकों में डेढ़ लाख रुपये में घर बनाना अब लगभग असंभव हो गया है।
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वर्तमान बाजार दरों को देखते हुए ईंट, सीमेंट, लोहा, रेत और मजदूरी की कीमतें काफी बढ़ चुकी हैं। इस कारण घरकुल निर्माण की लागत भी कई गुना बढ़ गई है। लाभार्थियों का कहना है कि सरकार को अनुदान राशि 1.5 लाख से बढ़ाकर कम से कम 5 लाख रुपये करनी चाहिए। यदि ऐसा किया जाता है तो ग्रामीण गरीबों का अपना घर बनाने का सपना सच हो सकेगा।






