मुंबई नए फ्लैट (pic credit; social media)
मुंबई आने वाले वर्षों में बड़े पैमाने पर बदलने जा रही है। राज्य सरकार और डेवलपर्स ने मिलकर तय किया है कि समाजों के पुनर्विकास प्रोजेक्टों के जरिए शहर को आधुनिक और सुरक्षित रूप दिया जाएगा। अगले पांच वर्षों में ऐसे पुनर्विकास प्रोजेक्टों से करीब 44,000 नए फ्लैट बनने जा रहे हैं।
सबसे ज्यादा असर पश्चिमी उपनगरों पर होगा। बांद्रा, अंधेरी और खंडिवली जैसे इलाकों में पुराने और जर्जर हो चुके भवनों को तोड़कर नई ऊंची इमारतें खड़ी की जाएंगी। यह न केवल रहवासियों को बेहतर सुविधाएं देंगे बल्कि इलाके का पूरा स्काईलाइन बदल देंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि मुंबई के 60% से ज्यादा सोसायटी भवन 30 साल से पुराने हैं। इनमें से कई बिल्डिंग्स अब जर्जर अवस्था में हैं, जिनमें रहना खतरनाक होता जा रहा है। पुनर्विकास से न केवल लोगों को सुरक्षित आवास मिलेगा बल्कि उन्हें अतिरिक्त जगह और आधुनिक सुविधाओं से लैस घर भी मिलेंगे।
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नगर नियोजन अधिकारियों का कहना है कि 44,000 नए फ्लैट्स बनने से शहर में आवास संकट कुछ हद तक कम होगा। फिलहाल मुंबई में बढ़ती जनसंख्या और सीमित जगह के कारण मकानों की भारी कमी है। पुनर्विकास इस समस्या का एक बड़ा समाधान साबित हो सकता है।
हालांकि, पुनर्विकास की राह चुनौतियों से भी खाली नहीं है। सोसायटी सदस्यों में सहमति बनाने से लेकर बिल्डरों और प्रशासन के बीच तालमेल बैठाना आसान नहीं होता। कई प्रोजेक्ट वर्षों तक कोर्ट केस और अनुमोदन प्रक्रिया में अटके रहते हैं। लेकिन इस बार सरकार ने प्रक्रिया को तेज करने और अटके प्रोजेक्टों को प्राथमिकता देने की घोषणा की है।
डेवलपर्स का कहना है कि अगर समय पर अनुमति और जरूरी सुविधाएं मिलती रहीं तो मुंबई की तस्वीर अगले पांच सालों में पूरी तरह बदल जाएगी। शहर की सड़कों पर नई ऊंची इमारतें और आधुनिक सोसायटी कॉम्प्लेक्स नजर आएंगे।
मुंबई हमेशा से भारत की आर्थिक राजधानी रही है। अब पुनर्विकास प्रोजेक्ट्स इसे एक आधुनिक और स्मार्ट सिटी में बदलने की दिशा में अहम कदम साबित होंगे।