भिखारी मेहनताना (pic credit; social media)
Wages of Beggars in Almshouses Increased: सार्वजनिक स्थानों और रेलवे स्टेशनों पर भीख मांगने वाले लोगों को राज्य सरकार भिक्षागृहों में आश्रय देती है। इन भिखारियों को वहां काम करने के लिए पारिश्रमिक दिया जाता है। अब सरकारी भिक्षागृहों में रहने वाले भिक्षुकों को प्रतिदिन 5 रुपए के बजाय 40 रुपए का मेहनताना मिलेगा।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने महाराष्ट्र भिक्षा प्रतिबंध (संशोधन) अधिनियम-1664 में संशोधन करते हुए इसके लिए अधिसूचना जारी की है। इसके तहत भिक्षागृहों में रहने वाले भिखारियों को प्रशिक्षण में अच्छी प्रगति और अनुशासन के लिए प्रतिदिन 40 रुपए का पारिश्रमिक मिलेगा। यह पारिश्रमिक पिछले 5 रुपए से आठ गुना अधिक है और अक्टूबर 2025 से लागू होने की संभावना है।
राज्य मंत्रिमंडल ने अप्रैल 2025 में इस बढ़े हुए पारिश्रमिक को मंजूरी दी थी, लेकिन यह अभी तक सभी भिखारियों को नहीं दिया गया है। वर्तमान में महाराष्ट्र में 14 सरकारी भिक्षागृह हैं, जिनमें कुल 368 भिखारी रह रहे हैं।
इसे भी पढ़ें- पैसे दो…पैसे दो…देवाभाऊ पैसे दो…, ठेकेदारों का सरकार के खिलाफ भीख मांगो आंदोलन
अधिकारी बताते हैं कि भिक्षा प्रतिबंध अधिनियम के तहत कानून का उल्लंघन करने वाले भिखारियों को कोर्ट के आदेश पर सरकारी भिक्षागृहों में भेजा जाता है। इन भिक्षागृहों में भिखारियों को बागवानी, सफाई और विभिन्न वस्तुओं के निर्माण जैसे काम करवाए जाते हैं। साथ ही उन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण भी दिया जाता है। मेहनताना केवल उन्हीं भिखारियों को दिया जाता है जो इन कार्यों में रुचि लेते हैं और सक्रिय रूप से योगदान करते हैं।
राज्य के विभिन्न जिलों में सरकारी भिक्षागृह बनाए गए हैं। मुंबई में चेंबूर नाका में पुरुष और महिला केंद्र हैं। कल्याण के जांभुल, रायगढ़ के रोहा, पुणे के येरवडा, सातारा के जरंडेश्वर, सोलापुर के करमाला और मालशिरस के सरकारी केंद्र प्रमुख हैं।
इसके अलावा अहिल्यानगर, श्रीगोंदा, विसापुर, विभले घायपातवाडी और पिपलगांव में भी पुरुष भिक्षागृह हैं।राज्य सरकार का यह कदम भिखारियों के जीवन स्तर को सुधारने और उन्हें समाज में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।