
अजीत की ईसी से शिकायत (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Mumbai News: राकां शरदचंद्र पवार पार्टी के प्रवक्ता महेश तपासे ने रविवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पर जोरदार हमला बोला। तपासे ने अजीत की उन टिप्पणियों के लिए कड़ी निंदा की, जो उन्होंने मालेगांव नगर पंचायत चुनाव के प्रचार के दौरान की थीं।
तपासे ने भारतीय चुनाव आयोग (ईसी) से तत्काल और कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि चुनाव आयोग कब तक मूकदर्शक बना रह सकता है, जबकि एक प्रमुख राज्य नेता खुलेआम मतदाताओं को धमकी दे रहा है और राजनीतिक लाभ के लिए राज्य के संसाधनों का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है? ईसीआई को कानून के अनुसार उप मुख्यमंत्री अजीत के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
अजीत की टिप्पणियों को लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ स्पष्ट धमकी के करार देते हुए तपासे ने कहा कि राज्य के वित्त विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले उपमुख्यमंत्री अजीत ने मतदाताओं को धमकी देते हुए कहा कि “आपके पास वोट हैं, मेरे पास फंड हैं।” उन्होंने वादा किया कि यदि सभी 18 राकांपा उम्मीदवार चुने गए तो धन की कोई कमी नहीं होगी। अर्थात यदि मतदाताओं ने राकां के उम्मीदवारों को “अस्वीकार” किया, तो बदले में वे भी उस क्षेत्र के विकास को “अस्वीकार” कर देंगे? तापसे ने कहा, “ये टिप्पणियां मतदाताओं को धमकाने और डराने जैसी ही हैं। यह लोकतंत्र पर ही सीधा हमला है।
तपासे ने अजीत को वित्त मंत्री के रूप में पद ग्रहण करने से पहले अपने कर्तव्यों को ईमानदारी और निष्पक्षता से निभाने की पवित्र शपथ की याद दिलाते हुए कहा, “बिल्कुल स्पष्ट रूप से कहें तो अजीत पवार केवल सार्वजनिक खजाने के संरक्षक हैं, उसके स्वामी नहीं। ये धनराशि आम लोगों के करों से आती है। सार्वजनिक धन का उपयोग राज्य और उसके सभी नागरिकों के सर्वांगीण विकास के लिए किया जाना चाहिए। तपासे ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार से अपनी अत्यंत आपत्तिजनक और लोकतंत्र-विरोधी टिप्पणियों के लिए तत्काल और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की।
राकांल शरदचंद्र पवार पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि लोकतंत्र में सत्ता का दुरुपयोग स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि जनता के पैसे से मिले विकास के फंड को चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल करना संविधान की भावना के खिलाफ है और इस तरह की धमकियां लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करती हैं।
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इनके बयान में सत्ता का गुरूर नजर आता है। इन्हें पहले अपने दिमाग में यह बात डाल लेनी चाहिए कि ये मालिक नहीं हैं। ये जनता के सेवक हैं। जनता ने इन्हें 5 साल के लिए वहां भेजा गया है। इसलिए इन्हें मालिक की तरह बात नहीं करनी चाहिए। यदि इन्हें लगता है कि लोगों ने इन्हें मालिक बना दिया है, तो इन्हें सत्ता से हटाने का अधिकार भी लोगों के पास है। फाइनेंस मिनिस्टर हुए तो क्या हुआ? सिर्फ वही पूरे राज्य के खजाने को लूट सकते हैं और संविधान ने उन्हें सारे अधिकार नहीं दिए हैं। वोट विकास के नाम पर मांगो। लेकिन विकास क्या है, सिर्फ भ्रष्टाचार ही ज्यादा है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर मैं बस इतना ही कहूंगा कि हमें पूरे राज्य का विकास करना है। हम सभी इलाकों का विकास करना चाहते हैं। चुनाव के बाद, हम सभी शहरों का विकास करना चाहते हैं। कई बार हम अपने भाषणों में कुछ बातें कहते हैं। लेकिन उसका मतलब लोग गलत लगा लेते हैं। भले ही हमारे साथी या किसी और कुछ कहा होगा, लेकिन उसका अर्थ वैसा नहीं होता। वे कभी भी इस तरह का भेदभाव नहीं करेंगे। लोग महाराष्ट्र में हमारी महायुति को जरूर चुनेंगे। उसके बाद, हम महाराष्ट्र और उसके सभी इलाकों का अच्छे से विकास करेंगे।






