रिसामा में विकास कार्यों को नहीं मिली गति (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Development work: आमगांव तहसील के मुख्य शहर से सटे रिसामा गांव क्षेत्र का विकास आज स्वार्थी राजनीति की भेंट चढ़ गया है। राजनीति में दूसरों को गिराने की नीति के कारण समग्र विकास रोक दिया गया है। इससे क्षेत्र की समस्याओं का कभी समाधान नहीं निकला। इसलिए सड़कें और नालों में पूरी बस्तियां डूबी हुई हैं। लेकिन राजनेता अपने स्वार्थ नहीं छोड़ रहे हैं, जिससे समस्याओं के समाधान और विकास को गति नहीं मिल पाई। आमगांव तहसील का रिसामा गांव नगर परिषद क्षेत्र में शामिल किया गया था, लेकिन नगर परिषद में शामिल नहीं होना चाहिए, इस पर कुछ राजनेताओं ने अलग भूमिका अपनाई और नगर परिषद का कड़ा विरोध किया।
गांव के राजनेता नेताओं ने स्वार्थी नेताओं के नेतृत्व में सीधी और अलग भूमिका अपनाई और अदालत तक लड़ाई लड़ी। इसमें लगातार 10 साल बीत गए, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है। इसलिए जनता को मिलने वाली योजनाएं और विकास इस क्षेत्र में दिखाई नहीं दिए। राजनीति की दुश्मनी, वर्चस्व की लड़ाई के कारण मूलभूत विकास नहीं हो सका। रिसामा गांव क्षेत्र के कई वाडों में नालों के गड्ढे, गंदी नालियां, गड्ढों में पड़ी सड़कें, जिससे बस्तियां गंदगी से भरी पड़ी हैं। कई बस्तियों में बारिश का पानी जमा होने से गड्ढे बन गए हैं।
नागरिकों को जल आपूर्ति योजना के लिए आत्मनिर्भर नहीं होने के कारण आज भी वे बनगांव क्षेत्रीय योजना पर निर्भर हैं, जिससे पानी की प्रतीक्षा बनी हुई है। योजनाएं और विकास न मिलने के कारण नागरिक यहां की राजनीति के सामने लाचार हो गए हैं।रिसामा गांव नगर परिषद क्षेत्र में शामिल है। भविष्य में विकास गतिशील होगा ऐसी आशा थी, लेकिन राजनीति होने के कारण विकास की आशा खत्म हो गई है। गांव के कई विकास कार्य पिछले 10 वर्षों से रुके हुए हैं, जिससे नागरिकों में तीव्र असंतोष है। वास्तव में इस गांव के क्षेत्र में विकास कार्यों को गति नहीं मिली है।
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रिसामा क्षेत्र के सिविल लाइन, बैंक कॉलोनी, रेणुका नगर, संभाजी नगर, गणेश नगर, संकल्प नगर, प्रगति नगर, सहकार नगर, असाटी नगर, शाही नगर, कबीर नगर ये नगर पंचायत या नगर परिषद के क्षेत्र में विकास के पक्ष में भूमिका बनाए हुए हैं। लेकिन रिसामा के मूल गांव के राजनीतिक नेताओं ने स्वार्थ के आगे जाकर गतिशील विकास की बलि चढ़ा दी है। इसके कारण गांव क्षेत्र के विकास को गति नहीं मिली है। गांव के नाले, सड़कें पूरी तरह से गड्ढों में बदल गई हैं। वर्तमान में बरसात के मौसम में गांव की सड़कें गड्डों में बदलकर पानी के तालाब बन गई हैं। इससे नागरिक अपनी जान जोखिम में डालकर रास्ता तय कर रहे हैं। जिससे नागरिकों में तीव्र असंतोष व्याप्त है।