कपास के अपेक्षित उत्पादन की आस धूमिल (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gadchiroli News: तेलंगाना व महाराष्ट्र की सीमा पर होने वाले सिरोंचा तहसील में अनेक वर्षों से ‘सफेद सोना’ यानी कपास की बुआई की जाती है। सिरोंचा के साथ ही अहेरी, चामोर्शी, मुलचेरा, गड़चिरोली तहसील में कपास की रोपाई में वृद्धि हुई है। इस वर्ष कपास को अच्छी मांग है। इन दिनों कपास की फसलें अंकुरित होने के कगार पर है। लेकिन विभिन्न कीटों का प्रकोप बढ़ गया है। जिससे किसान चिंता में है। सिरोंचा तहसील में प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल कपास का उत्पादन लिया जाता है।
इस वर्ष शुरुआत से ही बारिश ने साथ देने से सफेद सोना यानी कपास का उत्पादन अच्छा होगा, ऐसी अपेक्षा सिरोंचा तहसील के किसानों को थी। चामोर्शी तहसील में इस दौरान बाढ़ ने कोहराम मचाया। जिससे यहां कपास को व्यापक झटका लगा। लेकिन सिरोंचा तहसील के नगरम, चिंतलपल्ली, लंबडपल्ली, पेंटीपाका, आसरअल्ली, मेडाराम, अमरादी, बामणी रेगुंठा आदि गांव के कपास की फसलें जोरों पर थी। जिससे इससे इस वर्ष अच्छा उत्पादन होगा। ऐसी अपेक्षा थी।
फिलहाल कपास फसलों पर फूलों का बहार दिखाई दे रहा है। इस अवधि में कीटों का प्रकोप दिखाई दे रहा है। जिससे किसानों को अच्छे उत्पादन का ख्वाब धुमिल हो रहा है। जिले में करीब इस वर्ष 16 हजार 169 हेक्टेयर क्षेत्र पर कपास की रोपाई की गई थी। इस वर्ष बारिश समाधान कारक होने से कपास का उत्पादन अच्छा होगा, ऐसी अपेक्षा परिसर के किसानों को थी। लेकिन, अंतिम चरण में कपास पर कीटों का आक्रमण होने से हाथ में आयी फसल खतरे में है। जिससे किसानों में व्यापक नाराजगी है।
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जिले में दिन ब दिन कपास की बुआई में वृद्धि हो रही है। लेकिन इस तुलना में किसानों को उचित मार्गदर्शन नहीं मिल रहा है। फिलहाल कीटों का प्रकोप है। लेकिन संबंधित विभाग द्वारा कोई मार्गदर्शन नहीं मिल रहा है। किस तरह के कीट है, उस पर कौनसे कीटनाशक का छिड़काव करें, इस संदर्भ में किसानों को जानकारी नहीं है। कृषि विभाग फसलों का निरीक्षण कर मार्गदर्शन करने की मांग किसानों ने की है।