
आसिम मुनीर के पोस्टर पर मचा बवाल, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Pakistan News Hindi: पाकिस्तान में सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने और उन्हें संवैधानिक संशोधन के तहत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का अधिकार मिलने के बाद देश की राजनीति में नया भूचाल आ गया है।
जानकार मानते हैं कि भारत के ऑपरेशन सिंदूर में मिली सैन्य पराजय को छिपाने और जनता के बीच सेना की साख बरकरार रखने के लिए यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया। हालांकि विपक्षी दल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) इसे राजनीतिक स्टंट बताते हुए सेना और सरकार दोनों पर सवाल उठा रहा है।
गुरुवार को खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा में तब तनाव फैल गया जब पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की विधायक सोबिया शाहिद ने आसिम मुनीर के पोस्टर लहराए। स्पीकर सुरैया बीबी ने इस कदम को सदन की कार्यवाही से असंबंधित बताते हुए मार्शलों को पोस्टर हटाने का आदेश दिया।
स्पीकर ने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पूरी सेना का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनका किसी राजनीतिक दल से संबंध नहीं है। उन्होंने विधायक को सलाह दी कि वे अपनी पार्टी की परफॉर्मेंस और जनहित के मुद्दों पर बात करें, न कि सेना प्रमुख की तस्वीरें लहराएं।
इस घटना ने विपक्ष में और भी नाराजगी पैदा कर दी। पीटीआई के विधायकों ने आरोप लगाया कि देश आर्थिक संकट, गरीबी और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है, लेकिन सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी लगातार राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं। खासतौर पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और खैबर पख्तूनख्वा के सीएम सोहैल आफरीदी के खिलाफ बयान देने पर विपक्ष भड़क उठा है।
पीटीआई विधायक हुमायूं खान ने कहा कि सेना को राजनीतिक मामलों में दखल देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ लोग देश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की बात कर रहे हैं, जो खैबर पख्तूनख्वा जैसे संवेदनशील इलाके में संकट पैदा कर सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यहां की जनता किसी भी तरह की राजनीतिक इंजीनियरिंग को स्वीकार नहीं करेगी।
विपक्ष का आरोप है कि सेना सरकार के साथ मिलकर राजनीतिक नैरेटिव नियंत्रित कर रही है ताकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी आलोचना को दबाया जा सके। दूसरी ओर, सरकार और पीएमएल-एन नेताओं का कहना है कि सेना को मजबूत करना और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए फैसले लेना जरूरी है।
यह भी पढ़ें:- इमरान के करीबी रहे पूर्व ISI प्रमुख को 14 साल की जेल, पाकिस्तान के मिलिट्री कोर्ट का बड़ा फैसला
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि पाकिस्तान में सेना और राजनीति के बीच खिंचाव फिर गहरा गया है, और आसिम मुनीर की पदोन्नति ने इसे और भड़का दिया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिरता के लिए बड़ा चुनौती बन सकता है।






