
कार्तिक डिंडी (सौ. सोशल मीडिया )
Bhandara News In Hindi: उठो, अब उठो, पंढरीनाथ को याद करो, ऐसे मधुर भजन और आरती के सुरों से टाकली (पुनर्वास) गांव की सुबहें भक्तिमय हो उठी हैं। सुबह मंदिर से आने वाली काकड आरती के मंगलमय स्वर वातावरण को पवित्र बना रहे हैं।
भंडारा तहसील के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्तिक मास पूरे भक्तिभाव के साथ मनाया जा रहा है। कोजागिरी पूर्णिमा के दूसरे दिन से आरंभ हुई काकड आरती की परंपरा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है। इस माह में दिवाली जैसे धार्मिक पर्व के साथ-साथ गांव-गांव में हर सुबह आरती और हरिनाम का गजर सुनाई देता है।
टाकली (पुनर्वास) के सार्वजनिक हनुमान मंदिर में भक्तों द्वारा प्रतिदिन सुबह काकड आरती, भजन और हरिनाम संकीर्तन किया जा रहा है। इस उपक्रम में सुकदेव देशकर, राजू बोरकर, शंकर पवनकर, प्रविण शहारे, वासुदेव देशकर, लक्ष्मण बोरकर, राधेश्याम देशकर, ज्ञानेश्वर भेदे, बिसन भेदे, गंगा देशकर, पारबता पवकर, नर्मदा भेदे, राधा पवनकर, भास्कर देशकर, विनोद भेदे, शिवपाल नेरकर, सतिश बोरकर, नामदेव देशकर, सुनिल भोपे, ललित देशकर, गुलशन नेरकर, सिमरण भेदे, पियुष देशकर सहित अनेक श्रद्धालु भक्त शामिल होते हैं।
भजन मंडली और वारकरी समाज इस काकड आरती की पीढ़ियों पुरानी परंपरा को आज भी उसी उत्साह और श्रद्धा से निभा रहे हैं। महिलाएं, पुरुष और बच्चे स्नान कर शुद्ध मन से मंदिर में एकत्रित होकर ताल-मृदंग की थापों पर ‘उठा उठा साधुसंत’ जैसे अभंगों का गायन करते हैं।
सुबह रामप्रहरी में अभंग, पांगुल, वासुदेव, गवलण और भूपाली जैसे पारंपरिक रागों के सुर वातावरण में गूंजते हैं। एक से डेढ़ घंटे तक चलने वाले इस भक्ति कार्यक्रम का समापन गुड़ प्रसाद वितरण से किया जाता है। यह उपक्रम कार्तिक (त्रिपुरा) पौर्णिमा तक प्रतिदिन जारी रहता है, जिसके बाद भजन, कीर्तन, दहीकाला और महाप्रसाद के साथ समारोप किया जाता है।
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सर्दियों की सुहावनी सुबहें और ताजी हवा शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक होती हैं। इस समय वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है। साथ ही हरिनाम संकीर्तन से मन को गहरी शांति और प्रसन्नता प्राप्त होती है। आज की व्यस्त जीवनशैली में हरिनाम का गजर ही शांत, सुखी और संतुलित जीवन की सच्ची कुंजी साबित हो रहा है।






