लाखनी जल योजना पर श्रेय-वाद की सियासत (सौजन्यः सोशल मीडिया)
भंडारा: लाखनी नगर की बहुप्रतीक्षित 34.61 करोड़ की जलापूर्ति-सीवरेज योजना को लेकर तेज होती श्रेय-सियासत ने नया मोड़ ले लिया। कांग्रेस समर्थित नगरसेवकों ने पत्रकार परिषद में आरोप लगाया कि विधायक डॉ. परिणय फुके पहले से मंजूर योजना का श्रेय लेकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं, जबकि असल ग्राउंड वर्क वर्ष 2020 से तत्कालीन विधायक नाना पटोले और नगर पंचायत के नगरसेवकों ने किया है। विश्रामगृह में आयोजित पत्र परिषद में खरीदी बिक्री समिति के सभापति महादेव गायधनी, नगरसेवक विपुल कांबले, नगरसेवक प्रदीप तितिरमारे, जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव राजू निर्वाण, शहर कांग्रेस अध्यक्ष मोहन निर्वाण उपस्थित थे।
नगरसेवक विपुल कांबले ने दस्तावेज़ों की प्रतियां दिखाते हुए बताया कि, “28 दिसंबर 2020 को महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण ने तकनीकी मंजूरी दी। 15 मार्च 2021 को 22.68 करोड़ का प्रशासनिक आदेश निकला। महंगाई एवं सीएसआर दर बढ़ने से लागत 34.61 करोड़ हो गई, जिसके लिए 29 फरवरी 2024 के पत्र में नई मंजूरी मांगी गई है। इन सब प्रक्रियाओं में फुके कहीं नहीं थे, फिर भी आज श्रेय बटोर रहे हैं।”
कांग्रेस खेमे का कहना है कि टेंडर रद्द (11 फरवरी 2022) होने के बाद भी विधायक नाना पटोले के माध्यम से नगरसेवकों ने संशोधित डीपीआर, सात-बारह दस्तावेज़, शहर की गट क्रमांक 707 में की 0.4 हेआर ज़मीन स्वीकृत कर प्रशासक की बैठक के प्रस्ताव जुटाकर फाइल दोबारा मंत्रालय में प्रशासकीय प्रक्रिया के लिए शुरू रखी थी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कार्यकाल में विधायक नाना पटोले के माध्यम से प्रयास जारी रहे। वर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलकर विधायक नाना पटोले ने उक्त योजना को सुधारित तकनीकी मंजूरी दिलवाई है। इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच नागरिकों को पानी पिलाना तो दूर रहा।
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श्रेय वाद की सियासत में मंजूर योजना लटकी तो शहरवासियों को पीने के पानी से वंचित रहने की नौबत आ सकती है। जनहित के विकास कार्यों को कोई भी जनप्रतिनिधि करे, अपेक्षा सिर्फ इतनी है कि पाइपलाइन बिछे, टंकियाँ बने, जनता को पीने का पानी मिले और बरसात में गलियों में बहने वाला गंदा पानी इतिहास बने।
परंतु श्रेय लेने की सियासत से जलापूर्ति योजना पर खतरा मंडरा रहा है। नगर विकास विभाग से वित्तीय हरी झंडी मिलते ही निविदा प्रक्रिया फिर से खुलेगी। तब तय होगा कि लाखनीवासियों को पानी पहले मिलता है या राजनीति की प्यास खत्म होती है।