मोबाइल पशु चिकित्सालय वैन (फोटो नवभारत)
Bhandara Mobile Animal Hospital News: भंडारा जिले की लाखनी तहसील में मोबाइल पशु चिकित्सालय सेवा ठप है, जिससे पशुपालक गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यह सुविधा न मिलने से किसानों की आत्मनिर्भरता प्रभावित हो रही है।
भंडारा में आपातकालीन परिस्थितियों में पशुपालकों के मवेशियों को त्वरित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने मोबाइल पशु चिकित्सालय सेवा शुरू की थी। लेकिन लाखनी तहसील में यह सुविधा पूरी तरह ठप है, जिसके चलते पशुपालक गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
लाखनी तहसील के अधिकांश किसान खेती के साथ पूरक व्यवसाय के रूप में पशुपालन करते हैं। अल्पभूधारक और भूमिहीन किसान बैंक कर्ज तथा स्वसहायता समूहों के माध्यम से पशुपालन को आत्मनिर्भरता का साधन बना रहे हैं। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। लेकिन मोबाइल पशु चिकित्सालय न मिलने से पशुपालक बड़ी मुश्किल में हैं।
लाखनी तहसील का अधिकांश भाग जंगलों से घिरा है। यहां पालतू पशुओं पर जंगली जानवरों के हमले आम बात हैं। कई बार तबेले में ही मवेशी मारे जाते हैं। ऐसी आपात स्थिति में त्वरित चिकित्सा सहायता न मिलने से पशुओं की जान बचाना कठिन हो जाता है। सरकारी पशु चिकित्सालय तक पहुंचने में लंबा समय लगता है और समय पर इलाज न मिलने से नुकसान बढ़ जाता है।
मोबाइल पशु चिकित्सालय में आधुनिक उपचार सुविधाएं होती हैं। इसमें पशु चिकित्सक के साथ मेडिकल टीम उपलब्ध रहती है, जो पशुओं की जांच, शस्त्रक्रिया, प्रसूति, इलाज और टीकाकरण कर सकती है। यह सुविधा सीधे पशुपालकों के दरवाजे तक पहुंचती है।
इस योजना के तहत 1962 नंबर पर कॉल करने से सहायता मिलती है। कॉल सेंटर में पशु चिकित्सक स्थिति को समझकर या तो तुरंत ऑनलाइन मार्गदर्शन देते हैं या फिर नजदीकी मोबाइल वैन घटनास्थल पर भेजते हैं। इससे पशुओं की जान बचती है और किसानों का समय व पैसा दोनों की बचत होती है।
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लाखनी के पशुपालक बताते हैं कि बीमार पशुओं के इलाज के लिए निजी डॉक्टरों का खर्च वहन करना मुश्किल है। दूर-दराज के सरकारी अस्पताल तक पहुंचने में समय लगता है और कई बार पशु की जान चली जाती है। यदि मोबाइल वेटरनरी एम्बुलेंस शुरू होती, तो बड़ी राहत मिलती।
लाखनी तहसील में अब किसान खेती की अपेक्षा पशुपालन पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं। दूध उत्पादन, कुक्कुटपालन और बकरी पालन से रोजगार बढ़ा है। मगर पशुओं के स्वास्थ्य पर ध्यान न देने से यह पूरा व्यवसाय खतरे में पड़ सकता है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी झटका लग सकता है।
इसलिए पशुपालकों की मांग है कि “पशु चिकित्सालय आपके द्वार” योजना लाखनी तहसील में तत्काल लागू की जाए। पशुपालकों के लिए उनका मवेशी केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि जीवन का आधार है।