भक्ति और श्रद्धा का संगम (सौजन्यः सोशल मीडिया)
भंडारा: जिले के सात जुझारू साइकिल सवारों ने भक्ति, श्रद्धा और शारीरि क्षमता की कठिन परीक्षा मानी जाने वाली पंढरपुर वारी में भाग लेकर ऐतिहासि कार्य किया है। बायसिकल असोसिएशन भंडारा की ओर से सात साइकिल सवारों ने भंडारा से पंढरपुर तक करीब 800 किलोमीटर की कठिन यात्रा को सात दिनों में सफलतापूर्वक पूरा किया। इस यात्रा में उन्होंने देशभर से आए 4,000 से अधिक साइकिल सवारों के साथ ‘साइकिल रिंगण’ में भाग लेकर भंडारा जिले का गौरव बढ़ाया।
यह साइकिल यात्रा 14 जून को भंडारा से आरंभ हुई। बारिश, उमस, खराब सड़कों, ट्रैफिक जाम, थकान और मानसिक तनाव जैसे अनेक प्राकृतिक और मानवीय बाधाओं को पार करते हुए सभी साइकिल सवारों ने सात दिन में यह यात्रा पूरी की। इस संपूर्ण यात्रा में “विठ्ठल-विठ्ठल” के भजन और भक्ति भाव में सभी सवार डूबे रहे।
इस प्रेरणादायी वारी में शामिल 7 साइकिल सवार थे। राजकुमार बावनकर, सुधाकर कढव, अरुण आनंद, प्रवीण कारेमोरे, प्रमोद नेवारे, दादा ठाकरे और गौरव सेलोकर ने केवल अपनी आत्मशक्ति और सहनशक्ति का परिचय ही नहीं दिया, बल्कि अन्य साइकिल प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बने।
हर वर्ष आषाढ़ी एकादशी के पूर्व पंढरपुर में ‘रिंगण’नामक पारंपरि कार्यक्रम होता है। हाल के वर्षों में साइकिल प्रेमियों के लिए ‘साइकिल रिंगण’ का आयोजन भी किया जाता है। इस वर्ष देशभर के 4000 साइकिल सवारों ने इसमें भाग लिया, जिनमें भंडारा के सात और गोंदिया के दो सवार पहली बार विदर्भ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते नजर आए। विठ्ठल नाम स्मरण के साथ इस ऐतिहासिक रिंगण में भाग लेना, सभी के लिए अत्यंत गौरव का क्षण था।
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वारी पूर्ण कर सभी साइकिल सवार 24 जून को भंडारा लौटे। बायसिकल असोसिएशन भंडारा की ओर से सभी का जोरदार स्वागत किया गया।उन्हें स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अनेक साइकिलप्रेमी, युवा खिलाड़ी और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस पूरी वारी का नियोजन, प्रशिक्षण, सामग्री की व्यवस्था और मार्गदर्शन बायसिकल असोसिएशन की ओर से की गई, जिसमें संस्था अध्यक्ष और कार्यकारिणी की विशेष भूमिका रही।
केवल भक्ति यात्रा नहीं, बल्कि एक कठिन शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परीक्षा भी थी। सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम, दिन-रात साइकिल चलाना, सीमित आराम और प्रतिदिन 100 से 125 किमी की दूरी तय करना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति और सामूहिक भावना से सभी सवारों ने यह कार्य सिद्ध कर दिखाया।
इस वारी के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य संवर्धन, सड़क सुरक्षा और साइकिलिंग जैसी स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने का संदेश दिया गया। इस यात्रा ने यह साबित कर दिया कि साइकिलिंग सिर्फ खेल या शौक नहीं, बल्कि जनजागरण का एक सशक्त माध्यम बन सकता है। भविष्य में और भी युवक इस तरह की यात्राओं में भाग लें, इसके लिए बायसिकल असोसिएशन भंडारा विशेष प्रशिक्षण शिविर, जनजागरण अभियान और मार्गदर्शन सत्रों का आयोजन करेगी।इन सात साइकिल सवारों ने जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।