त्योहारी सीजन में बढ़ी एफडीए की जिम्मेदारी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Akola District: त्योहारों और उत्सवों के दौरान मिठाई और उससे जुड़े खाद्य पदार्थों की मांग में भारी वृद्धि होती है। दीपावली जैसे प्रमुख पर्वों पर तो यह मांग चरम पर पहुंच जाती है। इसी बढ़ती मांग का फायदा उठाकर कुछ असामाजिक तत्व नकली या मिलावटी खाद्य पदार्थ बाजार में उतारते हैं, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा उत्पन्न होता है। ऐसे में खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) विभाग की जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है। वैसे तो प्रति वर्ष बड़ी मात्रा में नकली मावा या पनीर जब्त किया जाता है, जो इस बात का संकेत है कि त्योहारी सीजन में इस प्रकार की घटनाएं और बढ़ सकती हैं।
इसलिए एफडीए को मिठाई की दूकानों के साथ-साथ उन स्थानों पर भी निगरानी बढ़ानी होगी जहां मिठाई तैयार की जाती है। कच्चे माल की गुणवत्ता, उसकी आपूर्ति का स्रोत, निर्माण प्रक्रिया और तैयार उत्पाद की जांच अनिवार्य होनी चाहिए। एफडीए को चाहिए कि वह नियमित रूप से मिठाई केंद्रों से नमूने लेकर जांच के लिए भेजे। यदि यह प्रक्रिया निरंतर चलती रही तो मिलावटखोरों की हिम्मत टूटेगी और बाजार में शुद्धता बनी रहेगी। नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एफडीए को पूरी जिम्मेदारी और सतर्कता के साथ काम करना होगा। त्योहारों की खुशियों में कोई बाधा न आए, इसके लिए मिलावट पर रोक लगाना अत्यंत आवश्यक है।
त्योहारी सीजन में सबसे अधिक मांग मावे की होती है, जो मिठाइयों का मुख्य घटक है। इसी मावे में मिलावट की संभावना सबसे अधिक रहती है। मिलावटी मावा न केवल स्वाद को प्रभावित करता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत हानिकारक होता है। इससे पेट संबंधी बीमारियां, फूड पॉइजनिंग और अन्य संक्रमण फैल सकते हैं। विभाग को चाहिए कि वह मावा विक्रेताओं पर विशेष निगरानी रखे। मावे की आपूर्ति कहां से हो रही है, उसका भंडारण कैसे किया जा रहा है और उसकी गुणवत्ता क्या है, इन सभी पहलुओं की जांच अनिवार्य होनी चाहिए।
ये भी पढ़े: मध्य प्रदेश से कत्ल के लिए लाए 29 गोवंश को छुड़ाया, क्राइम ब्रांच की बड़ी कार्रवाई
मावा के नमूने नियमित रूप से प्रयोगशालाओं में जांच के लिए भेजे जाएं और यदि कोई मिलावट पाई जाती है तो संबंधित विक्रेता पर सख्त कार्रवाई की जाए। साफ-सुथरे और सुरक्षित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता ही त्योहारों की असली मिठास है। इसलिए मिलावटी मावे पर रोक लगाना न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि यह समाज के प्रति एक नैतिक कर्तव्य भी है।