
किसानों की हालत 'दुबले पर दो आषाढ़ वाली' (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Akola News: इस वर्ष पहले मई माह में हुई अत्यधिक बारिश फिर अगस्त और सितंबर में हुई अतिवृष्टि के कारण जिले के अनेक क्षेत्रों में खरीफ फसलों का भारी नुकसान हुआ था। अनेक क्षेत्रों में सोयाबीन, कपास तथा तुअर की फसलों का नुकसान होने के साथ साथ कुछ क्षेत्रों में किसानों के जमीन की मिट्टी बहने के कारण भी किसानों को संकट का सामना करना पड़ा।
कुछ किसानों की तो इतनी अधिक हानि हुई है कि, उन्हें उत्पादन खर्च तक नहीं निकल सका है। इसी तरह अनेक क्षेत्रों में फल बागों और सब्जियों की फसलों का नुकसान होने की भी जानकारी है। किसान अभी इन नैसर्गिक संकटों से निकल भी नहीं पाए थे तभी अक्टूबर माह के अंत में तथा नवंबर माह के पहले सप्ताह में हुई बेमौसम बारिश ने किसानों को और संकट में डाल दिया है।
इस अचानक हुई तीन, चार दिनों की लगातार बारिश ने खेतों में काटी गयी सोयाबीन को गीला कर दिया। बारिश इतनी अचानक आई की किसान सोयाबीन उठा नहीं सके। ऐसी स्थिति कई किसानों के साथ हुई है। इसी तरह कपास की फसल निकालना शुरू है। इस बारिश ने कपास की फसल को भी नुकसान पहुंचाया है। इस लगातार बारिश के कारण कई जगह कपास के बोंड काले हो गये हैं।
इसी तरह कई जगह अतिवृष्टि से तुअर की फसल का भी नुकसान हुआ है। इस तरह इस वर्ष किसान नैसर्गिक संकटों से निकल ही नहीं पा रहे हैं। कुल मिलाकर किसानों की हालत काफी खराब है। किसानों से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि इस वर्ष अतिवृष्टि के कारण उत्पादन काफी घटा है उस पर बेमौसम बारिश ने उन्हें और भी नुकसान पहुंचा दिया है।
प्रगतिशील किसान तथा सहकार नेता हिदायत पटेल से बातचीत करने पर उन्होंने कहा कि, जिले भर में अतिवृष्टि के कारण किसानों की फसलों का भारी नुकसान हुआ है। सरकार ने नुकसान ग्रस्त किसानों को नुकसान भरपाई भी दी है लेकिन उनके नुकसान की तुलना में वह नुकसान भरपाई काफी कम है। सरकार किसानों की समस्याओं को लेकर बिलकुल गंभीर नहीं है।
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सरकार का काम है कि, प्रति एकड़ किसानों का कितना उत्पादन होता है, उनका कितना नुकसान हुआ है, उस अनुसार किसानों को नुकसान भरपाई दें। तभी किसानों को कुछ राहत मिल सकेगी। सरकार उन्हें नुकसान भरपाई देकर सिर्फ औपचारिकता पूरी कर रही है। सरकार का काम है कि, किसानों की तकलीफ को गंभीरता से लें और उन्हें समुचित नुकसान भरपाई प्रदान करें। क्यों कि जिले भर में किसान काफी संकट के दौर से गुजर रहे है। इस ओर ध्यान दिया जाना बहुत जरूरी है।






