
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई (फोटो- सोशल मीडिया)
CJI BR Gavai Angry on Central Government: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक अहम सुनवाई के दौरान माहौल तब गरमा गया जब केंद्र सरकार की एक अर्जी पर खुद मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कड़ी नाराजगी जता दी। ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट की वैधता पर चल रही सुनवाई में केंद्र ने अचानक मामले को पांच जजों की संविधान पीठ को भेजने की मांग कर दी। सीजेआई गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ इस बात से बेहद नाराज दिखी कि यह मांग याचिकाकर्ताओं की दलीलें खत्म होने के बाद की गई।
पीठ ने इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता मद्रास बार एसोसिएशन समेत कई याचिकाकर्ताओं की अंतिम दलीलें पहले ही सुन ली हैं। सीजेआई ने कहा कि यह अनुरोध हैरान करने वाला है, खासकर तब जब पिछली सुनवाई में अटॉर्नी जनरल ने निजी कारणों से सुनवाई टालने का अनुरोध किया था, न कि इस आपत्ति को उठाने के लिए। उन्होंने साफ कहा कि पूरी सुनवाई के बाद ऐसी आपत्तियां नहीं उठाई जा सकतीं।
नाराज नजर आए सीजेआई बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, ‘ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार मौजूदा पीठ से बचना चाहती है।’ उन्होंने कहा कि यह ऐसे समय में हुआ है जब अदालत एक पक्ष की पूरी बात सुन चुकी है और अटॉर्नी जनरल को निजी कारणों से छूट दी गई थी। पीठ ने स्पष्ट किया, ‘हम केंद्र सरकार से ऐसी तरकीब अपनाने की उम्मीद नहीं करते हैं।’ यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के रुख पर एक बड़ी फटकार मानी जा रही है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने पीठ से अपील की कि वे वृहद पीठ के अनुरोध वाली अर्जी को गलत न समझें। उन्होंने दलील दी कि यह अधिनियम काफी सोच-विचार के बाद लाया गया था और इसे प्रभाव दिखाने के लिए थोड़ा समय दिया जाना चाहिए। हालांकि, न्यायमूर्ति चंद्रन ने भी कहा कि यह मुद्दा पहले क्यों नहीं उठाया गया।
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सीजेआई बीआर गवई ने एजी को स्पष्ट निर्देश दिया कि वे सिर्फ याचिकाकर्ताओं की दलीलों का जवाब दें। पीठ ने कहा कि वे ‘आधी रात को आई अर्जी’ पर फैसला नहीं लेंगे। यह मामला 2021 के उस अधिनियम से जुड़ा है जो विभिन्न ट्रिब्यूनल्स के अध्यक्षों और सदस्यों की सेवा शर्तें निर्धारित करता है और जिसने फिल्म प्रमाणन अपीलीय अधिकरण जैसे कुछ निकायों को खत्म कर दिया था। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।






