
गोरियाकोठी विधानसभा सीट: हर चुनाव में बदलता है पलड़ा, 2025 में BJP मारेगी हैट्रिक या RJD करेगी वापसी
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार के सिवान जिले में स्थित गोरियाकोठी विधानसभा सीट (Goriakothi Assembly Seat) राज्य की राजनीति में एक दिलचस्प समीकरण प्रस्तुत करती है, जहाँ हर चुनाव में सत्ता का पलड़ा पलट जाता है। महाराजगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली यह सामान्य श्रेणी की सीट, भाजपा और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच कड़े संघर्ष का केंद्र रही है।
गोरियाकोठी का नामकरण ब्रिटिश शासनकाल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यहाँ किसी अंग्रेज अधिकारी का एक बंगला हुआ करता था, जिसे स्थानीय लोग ‘गोरिया का कोठी’ कहने लगे, जो समय के साथ गोरियाकोठी नाम से प्रसिद्ध हुआ।
गठन: 2010 में बसंतपुर और लकड़ी नबीगंज प्रखंडों को गोरियाकोठी प्रखंड के साथ मिलाकर इसका नया गठन किया गया।
अर्थव्यवस्था: यह क्षेत्र पूर्णतः ग्रामीण और कृषि आधारित है। यहाँ की उपजाऊ भूमि में धान, गेहूं और मक्का जैसी प्रमुख फसलें उगाई जाती हैं।
प्रमुख मुद्दे: क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग न होने के कारण रोजगार और युवाओं का पलायन आज भी सबसे बड़े सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों में शामिल हैं, जो हर चुनाव में केंद्रीय बहस का विषय बनते हैं।
हालाँकि गोरियाकोठी सीट 1967 से ही विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में थी, लेकिन 2008 में पुनर्गठन के बाद हुए चुनावों ने इसे भाजपा और राजद के बीच सत्ता की अदला-बदली का केंद्र बना दिया:
वर्ष विजयी पार्टी विजयी उम्मीदवार
पिछले डेढ़ दशक का यह रिकॉर्ड दर्शाता है कि इस सीट पर कोई भी पार्टी अपनी पकड़ स्थायी रूप से मजबूत नहीं रख पाई है। देवेश कांत सिंह (भाजपा) की जीत के साथ, बिहार असेंबली इलेक्शन 2025 में भाजपा के सामने लगातार दूसरी बार जीत हासिल करने की चुनौती होगी, जबकि राजद सीट वापस जीतने की पूरी कोशिश करेगी।
2024 के आंकड़ों के अनुसार, गोरियाकोठी विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,40,332 मतदाता हैं, जिनमें अधिकांश ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं।
मुद्दे: मतदाताओं के प्रमुख सरोकार खेती-किसानी, सिंचाई की सुविधा, ग्रामीण सड़कों की स्थिति, शिक्षा और रोजगार जैसे स्थानीय सवालों से जुड़े हैं।
राजनीतिक कारक: गोरियाकोठी विधानसभा की राजनीति स्थानीय मुद्दों और जातीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। दोनों ही प्रमुख दल अपने कोर वोट बैंक (राजद के लिए यादव-मुस्लिम और भाजपा के लिए सवर्ण-पिछड़ा) को मजबूत करने के लिए पूरी ताकत लगाते हैं, जिससे हर बार यहाँ कड़ा और रोमांचक मुकाबला देखने को मिलता है।
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गोरियाकोठी में चुनावी सफलता सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे कृषि संकट और युवाओं के पलायन जैसे प्रमुख समस्याओं का समाधान किस हद तक कर पाते हैं।






