
बड़हरिया विधानसभा सीट: सिवान की इस सीट पर RJD-JDU में कड़ा मुकाबला, जानें क्या है वोटों का गणित
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार के सिवान जिले में स्थित बड़हरिया विधानसभा क्षेत्र प्रदेश की राजनीति में एक अहम पहचान रखता है। बड़हरिया और पचरुखी प्रखंडों के 23 ग्राम पंचायतों को सम्मिलित करता यह क्षेत्र, गंडक नदी की सहायक नदियों से सिंचित कृषि प्रधान इलाका है। यहाँ की उपजाऊ भूमि में किसान धान, गेहूं और दलहन की खेती करते हैं। हालांकि, कृषि पर अत्यधिक निर्भरता और रोजगार के सीमित अवसरों के कारण यहाँ की एक बड़ी आबादी रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों में पलायन कर चुकी है।
बड़हरिया विधानसभा सीट की स्थापना 1951 में हुई थी। शुरुआती वर्षों में यहाँ कांग्रेस का दबदबा था, जिसने 1951 से 1957 तक लगातार तीन बार जीत दर्ज की। हालाँकि, 1957 के बाद यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई और सीपीआई, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय जनसंघ जैसे दलों को भी मौका मिला।
1972 के बाद इस सीट को समाप्त कर दिया गया था और यह करीब तीन दशकों तक राजनीतिक नक्शे से गायब रही।
पुनर्बहाली के बाद का संघर्ष: 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट एक बार फिर अस्तित्व में आई। पुनर्बहाली के बाद, जनता दल (यूनाइटेड) ने यहाँ मजबूत पकड़ बनाई और 2010 तथा 2015 के दोनों चुनावों में जीत दर्ज की।
2020 का उलटफेर: 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने जेडीयू को हराकर इस सीट पर कब्ज़ा कर लिया, जिससे यह सीट बिहार असेंबली इलेक्शन 2025 के लिए RJD बनाम JDU के सीधे और कड़े मुकाबले का केंद्र बन गई है।
बड़हरिया विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,15,304 मतदाता हैं, जिनमें अधिकांश ग्रामीण और किसान वर्ग से आते हैं। यहाँ के चुनावी परिणामों को तय करने में जातीय समीकरणों की बड़ी भूमिका होती है।
यादव और मुस्लिम: यह वर्ग राजद का मुख्य समर्थन आधार माना जाता है और संख्या बल में निर्णायक भूमिका निभाता है।
कुर्मी और राजभर: ये जातियाँ भी चुनाव परिणाम को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं।
सवर्ण वर्ग: सवर्ण वर्गों की भागीदारी भी उल्लेखनीय है, जो एनडीए (JDU/BJP) के लिए वोट बैंक का काम करती है।
इस जटिल जातीय संतुलन के कारण, बड़हरिया सीट पर जीत उसी पार्टी को मिलती है जो अपने पारंपरिक वोट बैंक को एकजुट रखने के साथ-साथ विरोधी खेमे में सेंध लगाने में सफल रहती है।
बड़हरिया में हाल के वर्षों में सड़क, बिजली और शिक्षा जैसी आधारभूत सुविधाओं में सुधार हुआ है। हालाँकि, कई बुनियादी मुद्दे आज भी यहाँ के मतदाताओं को प्रभावित करते हैं:
रोजगार और पलायन: रोजगार की तलाश में युवाओं का बड़े पैमाने पर पलायन यहाँ का सबसे संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है।
कृषि संकट: सिंचाई सुविधाओं की कमी और कृषि उत्पादों के लिए उचित मूल्य का न मिलना किसान वर्ग के लिए बड़ी चुनौतियाँ हैं।
स्वास्थ्य और शिक्षा: उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी चुनावी एजेंडे में अहम स्थान रखती है।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में, राजद के लिए इस सीट को बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि जेडीयू और उसके सहयोगी दल रोजगार एवं विकास के अधूरे वादों को उठाकर सीट वापस पाने की पूरी कोशिश करेंगे।






