नोबेल पुरस्कार के लिए ट्रंप की सिफारिश पर विवाद (फोटो- सोशल मीडिया)
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भेजने की सिफारिश की थी। इसे लेकर अब मुनीर बुरी तरह से फंसते नजर आ रहे हैं और उनकी हर कही आलोचना हो रही है। इसी बीच पाकिस्तान के कई नेताओं ने सरकार से ट्रंप की सिफारिश पर पुनर्विचार करने की मांग की है।
पाकिस्तान ने भारत के साथ संघर्ष के दौरान शांति प्रयासों के लिए ट्रंप के नाम की सिफारिश प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार के लिए करने का फैसला किया है। उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार के हस्ताक्षर वाला अनुशंसा-पत्र नॉर्वे में नोबेल शांति पुरस्कार समिति को भेजा जा चुका है। हालांकि कई पाकिस्तानी नेता ट्रंप के हालिया फैसलों से खुश नहीं हैं। यही कारण है कि उन्होंने सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है।
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख वरिष्ठ नेता मौलाना फजलुर रहमान ने मांग की कि सरकार अपना फैसला वापस ले। फजल ने रविवार को मरी में पार्टी की एक बैठक में कार्यकर्ताओं से कहा, राष्ट्रपति ट्रंप का शांति का दावा झूठा साबित हुआ है। नोबेल पुरस्कार के लिए प्रस्ताव वापस लिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की हाल में पाकिस्तान के सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ बैठक और दोनों के साथ में भोजन करने से पाकिस्तानी शासकों को इतनी खुशी हुई कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने की सिफारिश कर दी। फजल ने सवाल किया, ट्रंप ने फलस्तीन, सीरिया, लेबनान और ईरान पर इजराइल के हमलों का समर्थन किया है। यह शांति का संकेत कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा, जब अमेरिका के हाथों पर अफगानों और फलस्तीनियों का खून लगा हो, तो वह शांति का समर्थक होने का दावा कैसे कर सकता है?
वहीं, पूर्व सीनेटर मुशाहिद हुसैन ने ‘एक्स’ पर लिखा, चूंकि ट्रंप अब संभावित शांतिदूत नहीं रह गए हैं, बल्कि एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने जानबूझकर एक अवैध युद्ध छेड़ दिया है, इसलिए पाकिस्तान सरकार को अब नोबेल पुरस्कार के लिए उनके नाम की सिफारिश पर पुनर्विचार करना चाहिए, उसे रद्द करना चाहिए!
अमेरिका देने वाला है पाकिस्तान को झटका, ईरान हमले को लेकर कर सकता है ये बड़ा काम
अमेरिका ने रविवार को ईरान के खिलाफ ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ का ऐलान करते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर बमबारी की। इसके साथ ही अमेरिका ईरान और इजराइल के बीच चल रहे युद्ध में शामिल हो गया है। इससे मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने की संभावनाएं और बढ़ गई हैं, जो शांति के क्षेत्र के लिए अच्छी खबर नहीं है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)