UBT नेता उद्धव ठाकरे, सीएम फडणवीस (pic credit; social media)
Maharashtra Politics: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे के साथ निकट भविष्य में किसी भी सियासी समझौते की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया है। रविवार को हुए एक साक्षात्कार में उन्होंने विश्वास के साथ कहा कि महाराष्ट्र में महायुति सरकार पूरे पांच साल तक मजबूती से चलेगी।
इसी के साथ उन्होंने महायुति में नाराजगी या मतभेद की अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि हमने उद्धव को कोई प्रस्ताव नहीं दिया है। उन्होंने विधान परिषद में दिए गए अपने भाषण को मजाक बताते हुए कहा कि 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति को 232 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, अगर कोई और आता है, तो हम उन्हें उसे कौन सी सीट देंगे? ऐसा सवाल करते हुए उन्होंने उद्धव के साथ किसी समझौते की संभावनाओं से साफ इनकार कर दिया।
साक्षात्कार में मुख्यमंत्री ने कहा कि अब हमने महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक तूफानों को शांत कर दिया है। मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन फिलहाल पांच साल तो चलेगा ही और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। 2019 के विधानसभा नतीजों के बाद बदले राजनीतिक घटनाक्रमों में अजीत पवार के साथ 80 घंटे की सरकार के बारे में बोलते हुए, फडणवीस ने कहा कि यह प्रयोग शरद पवार की वजह से हुआ था।
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उन्होंने कहा कि नतीजों के बाद जब यह स्पष्ट हो गया कि उद्धव ठाकरे ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा है। महान पवार के दो दूत हमारे पास आए और सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा। जब शिवसेना हमें राजनीति में खत्म करने की कोशिश कर रही थी तो हमें भी जीवित रहने के लिए कार्रवाई करनी पड़ी।
सीएम फडणवीस ने कहा कि सरकार गठन को लेकर शरद पवार के साथ हमारी विस्तृत चर्चा हुई थी। उन्होंने शर्त रखी थी कि पहले राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। फिर मैं महाराष्ट्र का दौरा करूंगा और अपनी स्थिति तैयार करूंगा। उसके बाद ही मैं पाला बदल सकता हूं। शरद पवार ने कहा कि मैं लोगों को समझाऊंगा कि नतीजे ऐसे आए हैं कि जल्द ही दोबारा चुनाव कराना राज्य के हित में नहीं है। इसलिए राकां को भाजपा के साथ सरकार बनानी चाहिए, यही जनादेश है. उसके बाद, हम सरकार बनाएंगे।
इसी वजह से मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल ने सभी दलों से सरकार बनाने के बारे में पूछा। हमने मना कर दिया था। शरद पवार की पार्टी का अस्वीकृति पत्र मेरे कंप्यूटर पर तैयार था। बाद में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। लेकिन बड़े पवार अचानक पलट गए। चाचा पलट गए, लेकिन भतीजा हमारे पास आया। उसने कहा, मैं आपके साथ समझौते के अनुसार रहूंगा। हमने शपथ ली और वह सरकार आई, लेकिन वह ज्यादा दिन नहीं चली।
एक सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि जब मैं विपक्ष का नेता था, तब मेरा मजाक उड़ाया जाता था। उस समय मैंने कहा था, “मेरा पानी उतरता देखकर मेरे किनारे घर मत बना लेना, मै समुंदर हूं, फिर लौटकर आऊंगा। महाविकास आघाड़ी सरकार के अपने आपसी झगड़ों के कारण गिरने का हवाला देते हुए फडणवीस ने कहा कि उद्धव का विधायकों से संपर्क पूरी तरह से टूट गया था। विधायकों को वर्षा बंगले के गेट से वापस भेजा जा रहा था। मुसलमानों की खुशामद और कांग्रेस व राकां के दबदबे की वजह से ठाकरे के विधायक परेशान हो गए थे।
फडणवीस ने कहा, शिवसेना में एकनाथ शिंदे का प्रतिदिन अपमान हो रहा था। उनके विभाग की बैठकें आदित्य ठाकरे करते थे। विधान परिषद चुनाव के दौरान उनका धैर्य जवाब दे गया। शिंदे को बाहर बैठा दिया गया और सलाहकार लड़के विधायकों को मतदान का क्रम बता रहे थे। इसलिए शिंदे ने कहा, “अब बहुत हुआ” और उन्होंने शिवसेना में बगावत का बिगुल बजाया। वह बाहर आ गए ।
जब उन्होंने महाराष्ट्र की सीमा पार की, तो उन्होंने मुझे फोन किया और मैंने कहा, “आप चिंता मत करो, हम आपके साथ हैं।” अजीत पवार के बारे में उन्होंने कहा कि बड़े पवार ने अजीत को बार-बार चुप कराया । पार्टी को सुप्रिया सुले को पार्टी सौंपने के संकेत अजीत को दिख रहे थे । तभी उन्होंने बाहर आने का निर्णय लिया ।
यह स्पष्ट करते हुए कि भाजपा ने दादा से किसी भी तरह के मामलों और न्यायिक प्रक्रियाओं को समाप्त करने और उनमें हस्तक्षेप करने का वादा नहीं किया था, फडणवीस ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में किसी के साथ ऐसा कोई सौदा नहीं किया जा सकता है। कानून के अनुसार जो प्रक्रिया शुरू हो गई है उसे रोका नहीं जा सकता।