कांतारा चैप्टर 1 रिव्यू: ऋषभ शेट्टी की दमदार एक्टिंग, फिल्म में है शानदार वीएफएक्स
Kantara Chapter 1 Review in Hindi: दिव्य भव्यता और अद्भुत अभिनय से सजी ऋषभ शेट्टी की नई पेशकश दर्शकों को अपनी पौराणिक और रहस्यमयी दुनिया में खींच लेने वाली ‘कांतारा’ का सीक्वल ‘कांतारा चैप्टर 1’ आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुका है।
होम्बले फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म ने पहले ही दिन से दर्शकों के बीच उत्सुकता पैदा कर दी थी। इस बार ऋषभ शेट्टी ने निर्देशन और अभिनय – दोनों में ही खुद को पहले से कई गुना बेहतर साबित किया है।
फिल्म की कहानी एक छोटे लड़के के सवाल से शुरू होती है, जो पूछता है कि उसके पिता, जिन्होंने पंजरुली के रूप में नृत्य किया था, अचानक क्यों गायब हो गए। यहीं से कहानी पहले भाग से जुड़ती है और ‘कांतारा’ की पौराणिक कथाओं में दर्शकों को ले जाती है। जब राजा कर्णिका पत्थर की पूजा करते हुए कांतारा के लोगों को देखता है, तो लालच में जंगल के ईश्वर के उद्यान पर कब्ज़ा करने निकल पड़ता है। रहस्यमयी शक्तियां राजा और उसके सैनिकों को नष्ट कर देती हैं, लेकिन उसका वंशज बच निकलता है।
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राजा विजयेन्द्र (जयराम) अपने बेटे कुलशेखर (गुलशन देवय्या) को राजशाही सौंप देता है। कुलशेखर शिकार के दौरान कांतारा के जंगल में जाता है, जहां के लोग उसे ब्रह्मराक्षस समझकर हमला कर देते हैं। इसी बीच हीरो पेर्मी (ऋषभ शेट्टी) गाँव में आता है और राजकुमारी कनकवल्ली (रुक्मणी वसंत) से उसकी मुलाकात होती है। कुलशेखर अपने क्षेत्र में कांतारा के लोगों की मौजूदगी से नाराज़ होकर सेना के साथ उन्हें नष्ट करने निकलता है। यहीं से फिल्म में दैवीय शक्तियों और बुरी ताकतों के बीच संघर्ष शुरू होता है।
फिल्म का स्क्रीनप्ले तेज़-तर्रार और रोमांचक है। कैमरा वर्क और स्टंट सीन इतने दमदार हैं कि दर्शक पलक झपकने का मौका नहीं पाते। ऋषभ शेट्टी का महाकाली देवी के रूप में अभिनय दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। जयराम के डर और क्लाइमेक्स में उनका रूप, साथ ही अप्रत्याशित विलेन के ट्विस्ट बेहद सटीक हैं।
गुलशन देवय्या ने कुलशेखर के किरदार में गहराई लाई है, जबकि रुक्मणी वसंत ने राजकुमारी कनकवल्ली के रूप में दमदार अभिनय किया है। फिल्म के पहले भाग में कुछ हल्के-फुल्के कॉमेडी दृश्य भी ताजगी लाते हैं।
अरविंद एस. कश्यप की सिनेमैटोग्राफी कांतारा के जंगलों के रहस्य को भव्य तरीके से प्रस्तुत करती है। अजनीश लोकनाथ का संगीत फिल्म की आत्मा है – यह आदिवासी संस्कृति की चीखों और स्वर को मधुर बनाता है।
फिल्म के पहले भाग में कुछ दृश्य दोहराए हुए और अनावश्यक लगते हैं। क्लाइमेक्स की लड़ाई को और दमदार बनाया जा सकता था। दैवीय शक्ति वाले सीन कहीं-कहीं जादुई और तार्किकता से दूर लगते हैं। लेकिन ऋषभ शेट्टी के निर्देशन, उनके शरारती अंदाज और महाकाली देवी के रूप ने ‘कांतारा चैप्टर 1’ को ब्लॉकबस्टर स्तर पर पहुंचा दिया है।