मुंबई: अली फजल को मिर्जापुर में गुड्डू पंडित के किरदार में काफी पसंद किया गया। लेकिन गुड्डू पंडित का किरदार काफी हिंसात्मक था। अब उन्हें इस तरह के रोल ऑफर किए जाते हैं। इतना ही नहीं अली फजल ने खुद बताया है कि वह हिंसा बिल्कुल पसंद नहीं करते, ऐसे में गुड्डू पंडित का किरदार करना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। इस किरदार को निभाने की वजह से उनके दिमाग पर इसका गहरा असर पड़ा और वह अब इस तरह का किरदार निभाना नहीं चाहते हैं। ऐसे में जब उन्हें इसी तरह का रोल ऑफर होता है तो उन्हें मजबूरी में उसे मना करना पड़ता है और इस वजह से उनके हाथ से काफी कम चले गए हैं।
अली फजल ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि वह शांत किस्म के इंसान हैं और वह हिंसा से बहुत दूर रहते हैं। मिर्जापुर में काम करने के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि हाल ही में उन्हें स्क्रीन पर हिंसा देखने में कोई दिक्कत नहीं हुई लेकिन अभी भी उन्हें यह समझने में दिक्कत होती है कि मिर्जापुर में उन्हें क्या-क्या करना पड़ा।
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अली फजल ने यह भी बताया कि उन्हें वायलेंट होना बिल्कुल पसंद नहीं है। मिर्जापुर के सीन उन्हें काफी परेशान करते थे। उन्होंने मेकर्स से मर्डर सीन को बदलने तक की मांग की थी। अली ने बताया कि वह कई बार चाहते हैं कि हिंसा कम हो और अगर ना हो पाए तो वह अपना पैर खींच लेते हैं और शायद यही वजह है कि मैंने बहुत सारे काम खो दिए हैं। लेकिन ऐसी कई तरह की मुश्किलें होती हैं। मिर्जापुर में एक सीन था जहां मैं किसी को मारता हूं जो मुझे उस पर लगा कि इसे फिल्माने का तरीका बहुत गैर जरूरी था और मैं खुद को इसके लिए मना नहीं कर सका, कैरेक्टर भी मेरे हिसाब से जस्टिस नहीं कर रहे थे। मुझे लगा यह बिल्कुल गलत था।
कुल मिलाकर अली फजल ने यह बताया है कि मिर्जापुर में काम करके उन्हें शोहरत भले ही मिली लेकिन वह इस काम से काफी परेशान हुए हैं। उनका किरदार हद से ज्यादा हिंसात्मक था, जबकि वह एक सुकून पसंद इंसान हैं। अपने व्यक्तित्व से विपरीत किरदार निभाने आसान काम नहीं होता और अली फजल ने वही किया है। लेकिन अली फजल को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। एक तो उनके दिमाग पर इस किरदार का गहरा असर हुआ और दूसरा कि उन्हें अब इसी तरह के रोल भी मिल रहे हैं जो उन्हें मना करना पड़ रहा है।