मुंबई: भांडुप पश्चिम विधानसभा सीट महाराष्ट्र की 288 सीटों में से एक है और यह ठाकरे की शिवसेना के लिए एक अहम सीट है। क्योंकि पिछले 10 साल से वह यहां विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर रही है। 2014 में शिवसेना के उम्मीदवार अशोक पाटिल ने तो, 2019 में रमेश गजानन कोरगांवकर ने यहां से शिवसेना के लिए जीत हासिल की। अब देखना यह होगा कि इस बार यहां से शिवसेना की हैट्रिक होती है या नहीं।
2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई है। इससे पहले इस सीट को भांडुप विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लेकिन इसी में कुछ इलाकों को जोड़कर भांडुप पश्चिम सीट बनाई गई है।
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भांडुप पश्चिम विधानसभा सीट का इतिहास
भांडुप पश्चिम विधानसभा सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। 2009 में हुए इलेक्शन में यहां से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के शिशिर शिंदे ने जीत हासिल की थी। साल 2014 में हुए चुनाव में शिवसेना के लिए अशोक पाटिल ने जीत दर्ज की। तो वहीं 2019 में शिवसेना के लिए रमेश गजानन कोरगांवकर ने जीत हासिल की। जब यह सीट भांडुप विधानसभा सीट के नाम से पहचानी जाती थी। तब 1978 में सीपीआई के उम्मीदवार ने यहां से जीत हासिल की थी। तो वहीं 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों ने यहां से जीत हासिल की। 1990, 1995 और 1999 में लगातार तीन बार लीलाधर डाके ने शिवसेना के लिए यहां से जीत हासिल की थी। साल 2004 में हुए चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के संजय दिना पाटील ने यहां से जीत हासिल की थी।
परिसीमन के बाद किसने कब मारी बाजी
2019: रमेश गजानन कोरगांवकर, एसएचएस
2014: अशोक पाटिल, एसएचएस
2009: शिशिर शिंदे, मनसे
भांडुप पश्चिम विधानसभा सीट का जातीय समीकरण
भांडुप वेस्ट एक साधारण सीट है। यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 2,79,670 के आसपास है। वहीं 5% के आसपास की आबादी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समुदाय की है। मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 7% के आसपास है। यह पूरा इलाका शहरी आबादी में गिना जाता है। ऐसे में यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि यहां मतदाताओं को रिझाने के लिए उम्मीदवारों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इस बार भी मुकाबला शिवसेना और महायुति के कैंडिडेट के बीच देखने को मिलेगा। ऐसे में अगर बात की जाए कि कौन यहां से बाजी मारेगा, तो यहां पर ठाकरे की शिवसेना का पलड़ा भारी है।