मुंबई: दिंडोशी विधानसभा सीट ठाकरे की शिवसेना के लिए अहम सीट है। इस सीट पर 2014 और 2019 के चुनाव में सुनील प्रभु ने जीत हासिल की थी और बड़े अंतराल से कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के कैंडिडेट को हराया था। लेकिन इस बार कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस का एक धड़ा ठाकरे की शिवसेना के साथ है। ऐसे में सुनील प्रभु की जीत पर उद्धव ठाकरे ने भरोसा जताया है और उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया है।
2009 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के राजहंस सिंह ने जीत हासिल की थी। लेकिन उस समय भी कांग्रेस और शिवसेना के वोट का अंतराल काफी कम था। इस बार कांग्रेस और शिवसेना दोनों साथ हैं। ऐसे सुनील प्रभु के जीत का मार्जिन और बढ़ सकता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि महायुति का कौन सा उम्मीदवार यहां से मैदान में उतरता है।
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दिंडोशी विधानसभा सीट का इतिहास
दिंडोशी विधानसभा सीट 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई है। इससे पहले सीट के इतिहास के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन इससे पहले भी इस इलाके में मुकाबला कांग्रेस और शिवसेना के बीच में ही देखने को मिलता था। दरअसल ये इलाका शिवसेना का पारंपरिक गढ़ रहा है। ऐसे में बीजेपी हमेशा इस सीट पर उम्मीदवार एलाइंस होने के नाते नहीं उतरती थी। लेकिन अब बीजेपी शिंदे गुट की शिवसेना के साथ है और ठाकरे की शिवसेना अलग से चुनावी मैदान में नजर आ रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि शिवसेना के सुनील प्रभु यहां से जीत का हैट्रिक करते हैं या फिर कोई और ही यहां से बाजी मारने में कामयाब होता है।
दिंडोशी विधानसभा सीट पर कब किसने मारी बाजी
2019: सुनील प्रभु, एसएचएस
2014: सुनील प्रभु, एसएचएस
2009: राजहंस सिंह धनंजय सिंह, कांग्रेस
दिंडोशी विधानसभा सीट का जातीय समीकरण
दिंडोशी विधानसभा सीट के अंतर्गत कुल मतदाताओं की संख्या 2,83,931 है। यहां पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की कुल जनसंख्या 5% के आसपास है। जबकि 12% के आसपास यहां पर मुस्लिम वोटर हैं। दिंडोशी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र शहरी आबादी में गिना जाता है। यहां पर ग्रामीणों की संख्या शून्य है। यह इलाका मराठी भाषी इलाका है ऐसे में शिवसेना की पकड़ यहां पर मजबूत है।