अखिलेश प्रसाद सिंह, फोटो: सोशल मीडिया
बिहार: एआईएमआईएम की महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताने के बाद राजनीतिक बहस तेज हो गई है। ओवैसी ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चिट्ठी लिखकर अपनी इच्छा जाहिर की थी। इस मुद्दे पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और बिहार प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कड़ा रुख अपनाया है।
अखिलेश प्रसाद सिंह ने एआईएमआईएम को एक सांप्रदायिक पार्टी बताते हुए कहा कि ऐसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया जा सकता। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि एआईएमआईएम हमेशा से भारतीय जनता पार्टी की मदद करती रही है और चुनावों में सेक्युलर वोट को बांटने का काम करती है।
अखिलेश सिंह का कहना है कि एआईएमआईएम जैसी सांप्रदायिक पार्टी के साथ गठबंधन कैसे हो सकता है। उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम हमेशा से भाजपा की मदद करती रही है। अखिलेश सिंह का समर्थन करते हुए आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि ओवैसी की पार्टी ने पहले भी बीजेपी की अप्रत्यक्ष रूप से मदद की है। उन्होंने कहा कि हम हैदराबाद में चुनाव नहीं लड़ते, तो ओवैसी बिहार क्यों आते हैं? अगर ओवैसी वास्तव में धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ हैं, तो उन्हें बिहार चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा करनी चाहिए।
जेडीयू पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि ओवैसी को महागठबंधन में जगह न मिलने से विपक्ष की स्थिति और भी कमजोर हो गई है। उन्होंने दावा किया कि अब आरजेडी और ओवैसी के बीच दूरी जगजाहिर है और ऐसे में ये गठबंधन एनडीए से मुकाबला नहीं कर सकता। वहीं केसी त्यागी ने कहा है कि ओवैसी को साथ लेने में कांग्रेस और आरजेडी असहज महसूस कर रही है। उनका कहना है कि ओवैसी ने जिस तरह से 2020 में सीटें हासिल की थीं उसको देखते हुए लग रहा है कि महागठबंधन के वोट बंटने की संभावना है।
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आपको बता दें कि ओवैसी की पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीती थीं लेकिन उनमें से चार विधायक बाद में आरजेडी में शामिल हो गए थे। फिलहाल एआईएमआईएम के पास सिर्फ अख्तरुल ईमान विधायक के रूप में बचे हैं।