बिस्फी निर्मली विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
Bisfi Assembly Seat Profile: मधुबनी जिले की बिस्फी विधानसभा सीट मिथिला की समृद्ध विरासत का प्रतीक है और मैथिली साहित्य के महान कवि विद्यापति की जन्मस्थली के रूप में विशेष पहचान रखता है। याज्ञवल्क्य और चंद्रेश्वर ठाकुर जैसे विद्वानों से जुड़ी यह भूमि मैथिली बौद्धिक परंपरा का केंद्र रही है।
बिस्फी क्षेत्र में स्थित कपिलेश्वर महादेव मंदिर इसकी आध्यात्मिक पहचान को और मजबूत करता है। यह मंदिर कपिल मुनि के नाम पर स्थापित है, जिन्होंने ‘सांख्य दर्शन’ की रचना की थी। जनश्रुति के अनुसार, राजा जनक प्रतिदिन यहां जलाभिषेक करने आते थे, जिससे इसे ‘मिथिला का बाबाधाम’ कहा जाता है। सौराठ सभागाछी और मिथिला चित्रकला संस्थान जैसी धरोहरें इस क्षेत्र को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाती हैं।
बिस्फी विधानसभा क्षेत्र मिथिला के बाढ़-प्रवण इलाकों में आता है। यहां की भूमि समतल और उपजाऊ है, जो धान, गेहूं और मसूर जैसी फसलों के लिए अनुकूल है। हालांकि, सिंचाई की सीमित सुविधाओं के कारण किसान मानसूनी बारिश पर निर्भर रहते हैं। बाढ़ की समस्या यहां की कृषि और जनजीवन को बार-बार प्रभावित करती है।
बुनियादी सुविधाओं की बात करें तो क्षेत्र में सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अब भी कमजोर है। स्कूलों में संसाधनों की कमी और स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण स्थानीय जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह मुद्दे चुनावी बहस में प्रमुखता से उठते रहे हैं।
बिस्फी विधानसभा सीट का गठन 1967 में हुआ था और तब से अब तक यहां 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इस क्षेत्र में सीपीआई ने पांच बार, कांग्रेस ने चार बार, राजद और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो-दो बार जीत दर्ज की है। यह दर्शाता है कि यहां की जनता समय-समय पर राजनीतिक बदलाव को स्वीकार करती रही है।
2020 के विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने इस सीट पर सफलता पाई। भाजपा उम्मीदवार हरिभूषण ठाकुर ने राजद प्रत्याशी फैयाज अहमद को हराकर इतिहास रच दिया। यह जीत भाजपा के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन अब 2025 के चुनाव में इस जीत को दोहराना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
बिस्फी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की पकड़ मजबूत करने की कोशिश जारी है, वहीं राजद और अन्य विपक्षी दल इस सीट को फिर से हासिल करने के लिए रणनीति बना रहे हैं। सांस्कृतिक पहचान, विकास की मांग और जातीय समीकरण इस बार के चुनाव को बेहद रोचक बना रहे हैं।
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बिस्फी विधानसभा सीट पर 2025 का चुनाव सियासी घमासान का केंद्र बनने जा रहा है। भाजपा अपनी पहली जीत को बरकरार रखने की कोशिश में है, जबकि विपक्ष इसे वापसी का मंच मान रहा है। जनता का फैसला ही तय करेगा कि मिथिला की इस ऐतिहासिक भूमि पर किसका परचम लहराएगा।