नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी, (फाइल फोटो)
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं। दीपावली के बाद 23 अक्टूबर से शुरू होने वाले उनके चार दिवसीय दौरे में वे कुल 12 जनसभाओं को संबोधित करेंगे। यह दौरा भाजपा के लिए निर्णायक साबित हो सकता है, क्योंकि इसमें विकास, सुरक्षा और स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री का चुनावी अभियान 23 अक्टूबर को सासाराम और भागलपुर से शुरू होगा। इसी दिन वे गया और औरंगाबाद में भी जनसभाएं करेंगे। 24 अक्टूबर को मुंगेर और बेगूसराय में उनकी रैलियां होंगी। 25 अक्टूबर को छपरा, सारण और समस्तीपुर में जनसभाएं निर्धारित हैं। 27 अक्टूबर को पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सरायगंज और आरा में वे जनता को संबोधित करेंगे।
भाजपा सूत्रों के अनुसार, दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होना है, तो पीएम मोदी का दौरा तीन दिन और बढ़ सकता है। ऐसे में जनसभाओं की संख्या भी बढ़ सकती है। पार्टी के लगभग तीन लाख कार्यकर्ता इन सभाओं में भाग लेंगे, जिससे माहौल को और गर्म किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को प्रमुखता से रखेंगे। उनके भाषणों में अयोध्या आंदोलन, बुनियादी ढांचे का विकास, गरीब कल्याण योजनाएं और युवाओं के लिए रोजगार जैसे मुद्दे शामिल होंगे। साथ ही वे स्थानीय समस्याओं को भी उठाएंगे, जिससे मतदाताओं से सीधा जुड़ाव स्थापित किया जा सके।
भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि पीएम मोदी की जनसभाएं मतदाताओं को प्रभावित करने में निर्णायक भूमिका निभाएंगी। उनके भाषणों में राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद पर सख्ती और सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास जैसे विषयों को भी शामिल किया जाएगा।
भाजपा ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है, जिसमें सात केंद्रीय मंत्री, आठ भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और कई उपमुख्यमंत्री शामिल हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 26 अक्टूबर को राज्य की राजधानी और प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करेंगे। इस दौरान वे दरभंगा, सुल्तानपुर और मधुबनी में जनसभाएं करेंगे। यह रणनीति भाजपा को अंतिम चरण में मजबूती देने के लिए तैयार की गई है, ताकि विपक्ष के भीतर चल रही खींचतान का लाभ उठाया जा सके।
जहां भाजपा पूरी ताकत से मैदान में है, वहीं कांग्रेस के नेता राहुल गांधी बिहार से फिलहाल दूर हैं। उनका चुनावी कार्यक्रम पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र तक सीमित रहा है। बिहार में उनकी सक्रियता कम दिख रही है, जिससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में निराशा है। राहुल गांधी ने हाल ही में एक ट्वीट में बिहार की गरीबी और बेरोजगारी पर चिंता जताई थी, लेकिन उनकी बहन प्रियंका गांधी भी अब तक बिहार नहीं पहुंची हैं। इससे कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 12 जनसभाएं और स्टार प्रचारकों की फौज मैदान में उतर चुकी है। विकास और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर केंद्रित यह अभियान मतदाताओं को प्रभावित करने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकता है।
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वहीं, विपक्ष की सुस्त चाल और आंतरिक खींचतान भाजपा को सियासी बढ़त दिला सकती है। अब देखना यह होगा कि जनता किसके दावे पर भरोसा करती है और किस इलाके से किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है। बिहार में विकास के वादे पर अधिक भरोसा किया जाएगा या बदलाव की उम्मीद का लोग समर्थन करते दिखते हैं।