बिहार में शराबबंदी को 10 साल पूरे हो गए हैं। 2016 में लागू इस नीति से राज्य को राजस्व में नुकसान झेलना पड़ा, लेकिन सामाजिक और स्वास्थ्य लाभ स्पष्ट रूप से दिखे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, शराबबंदी के बाद पुरुषों में शराब सेवन और मोटापे के मामले घटे, जबकि महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा में करीब 21 लाख मामलों की कमी आई। राज्य की एक्साइज ड्यूटी 2015-16 में 3142 करोड़ से घटकर अगले वर्ष केवल 30 करोड़ रह गई। अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) की रिपोर्ट बताती है कि शराबबंदी ने पारिवारिक जीवन में सुधार किया और महिलाओं की सुरक्षा बढ़ी। आर्थिक नुकसान के बावजूद सामाजिक लाभों ने इस नीति को सार्थक बनाया।
बिहार में शराबबंदी को 10 साल पूरे हो गए हैं। 2016 में लागू इस नीति से राज्य को राजस्व में नुकसान झेलना पड़ा, लेकिन सामाजिक और स्वास्थ्य लाभ स्पष्ट रूप से दिखे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, शराबबंदी के बाद पुरुषों में शराब सेवन और मोटापे के मामले घटे, जबकि महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा में करीब 21 लाख मामलों की कमी आई। राज्य की एक्साइज ड्यूटी 2015-16 में 3142 करोड़ से घटकर अगले वर्ष केवल 30 करोड़ रह गई। अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) की रिपोर्ट बताती है कि शराबबंदी ने पारिवारिक जीवन में सुधार किया और महिलाओं की सुरक्षा बढ़ी। आर्थिक नुकसान के बावजूद सामाजिक लाभों ने इस नीति को सार्थक बनाया।