
कुढ़नी विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Kurhani Assembly Constituency: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक छोटी सी विधानसभा सीट कुढ़नी है। यह सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र नहीं, बल्कि कड़े मुकाबले, पल-पल बदलते समीकरणों और जनता की अटूट उम्मीदों का एक अखाड़ा है।
यह सीट मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, लेकिन इसका अपना एक अलग ही राजनीतिक मिजाज है, जहाँ हार-जीत का अंतर कभी-कभी आश्चर्यजनक रूप से कम होता है। आगामी Bihar Assembly Election 2025 में एक बार फिर यह सीट भाजपा (BJP) और राजद (RJD) के बीच कांटे की टक्कर का गवाह बनने जा रही है।
कुढ़नी का चुनावी इतिहास बताता है कि यह सीट किसी एक पार्टी की नहीं रही है। एक समय था जब इस सीट पर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का दबदबा था। मनोज कुमार सिंह ने लगातार तीन चुनावों में इस सीट से जीत हासिल कर अपना वर्चस्व स्थापित किया।
2015 के विधानसभा चुनाव से समीकरण तेजी से बदलने लगे। भाजपा के उम्मीदवार केदार प्रसाद गुप्ता ने बड़े अंतर से जीत हासिल की, जो 11,570 वोटों के अंतर से दर्ज हुई थी। इसके बाद 2020 का चुनाव कुढ़नी के इतिहास के सबसे रोमांचक मुकाबलों में से एक रहा। इस बार राजद के अनिल कुमार सहनी ने चुनावी रण में ताल ठोकी। उन्होंने भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता को बेहद करीबी मुकाबले में हराया। अनिल सहनी की जीत का अंतर इतना मामूली था कि आज भी वह चर्चा का विषय है। सिर्फ 712 वोटों के अंतर से अनिल सहनी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी।
2020 की जीत क्षणिक साबित हुई। एक कानूनी मामले में आए फैसले के बाद अनिल सहनी की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई और कुढ़नी में 2022 में उपचुनाव हुए। इसमें केदार प्रसाद गुप्ता ने शानदार वापसी की।
यह चुनावी उठा-पटक यह सिद्ध करती है कि कुढ़नी में जीत-हार का फैसला बहुत ही बारीक होता है और राजद-भाजपा के बीच यहाँ फिफ्टी-फिफ्टी का मुकाबला रहता है।
कुढ़नी वैशाली जिले की सीमा से सटा हुआ इलाका है, जिसकी असली पहचान यहाँ के लाह से बने कारीगरी वाले काम में है। विशेष रूप से ‘लहठी’ (चूड़ियां) का शानदार कारोबार यहाँ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। जब भी आप इस सीट की बात करते हैं, तो लहठी की खनक के साथ चुनावी सरगर्मी की गूंज सुनाई देती है।
1- मनियारी को प्रखंड (ब्लॉक) घोषित कराना।
2- कृषि प्रधान क्षेत्र होने के कारण किसानों के लिए सिंचाई सुविधाओं की कमी एक गंभीर स्थानीय मुद्दा है।
3- सबसे बड़ी मांग लहठी के कारोबार को सरकारी सहायता और प्रोत्साहन से जुड़ी है।
चुनावी दृष्टि से, यहाँ वैश्य, मुस्लिम और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इन तीनों समुदायों का झुकाव जिस ओर होता है, अक्सर जीत उसी के पाले में जाती है। यही वजह है कि यहाँ हर पार्टी जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश करती है। भाजपा वैश्य और सवर्ण वोटों पर निर्भर करती है, जबकि राजद यादव और मुस्लिम (M-Y) समीकरण पर जोर देती है।
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कुढ़नी विधानसभा सीट बिहार चुनाव 2025 में एक हाई-प्रोफाइल और बेहद करीबी मुकाबले के लिए तैयार है। भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता को उपचुनाव की जीत को बरकरार रखने की चुनौती होगी, जबकि राजद 712 वोटों की हार का बदला लेने के लिए पूरी ताकत झोंकेगी। लहठी कारोबारियों की मांगें, मनियारी प्रखंड का मुद्दा और वैश्य-मुस्लिम-यादव समीकरण ही इस बार कुढ़नी सीट का फैसला करेंगे।






