
बिहार विधानसभा चुनाव, 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो
Barhara Assembly Constituency: बिहार के भोजपुर जिले की बड़हरा विधानसभा सीट एक बार फिर राजनीतिक रूप से काफी चर्चा में है। यह सीट लंबे समय से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का मजबूत गढ़ मानी जाती रही है, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यहां बड़ी सेंधमारी की थी। भाजपा के उम्मीदवार राघवेंद्र प्रताप सिंह ने राजद के उम्मीदवार सरोज यादव को हराकर इस सीट पर कमल खिलाया था।
यह जीत दर्शाती है कि यहां का मुकाबला हमेशा बेहद कांटे का रहा है। 2025 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और राजद के बीच जोरदार टक्कर की पूरी उम्मीद है, जिसे लेकर दोनों दलों ने अपनी कमर कस ली है।
इस बार बड़हरा विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला इन दो प्रमुख उम्मीदवारों के बीच है:–
भाजपा ने जहां एक बार फिर अपने मौजूदा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह पर भरोसा जताया है, वहीं राजद ने इस बार रामबाबू पासवान को अपना उम्मीदवार बनाकर एक नया दाँव खेला है।
बड़हरा सीट से भाजपा उम्मीदवार राघवेंद्र प्रताप सिंह की राजनीतिक यात्रा काफी दिलचस्प और दलबदल वाली रही है। 2010 में उन्होंने राजद के टिकट पर बड़हरा से विधायक बनकर अपने करियर की शुरुआत की। 2015 वह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे, और इस चुनाव में राजद की सरोज यादव ने जीत हासिल की। इसके बाद साल 2020 में राघवेंद्र प्रताप सिंह ने भाजपा के टिकट पर वापसी की और राजद को हराकर सीट पर कब्जा जमाया। उनकी इस बार की उम्मीदवारी यह बताती है कि भाजपा ने उनकी क्षेत्रीय पकड़ और 2020 की जीत की क्षमता पर पूरा विश्वास जताया है।
बड़हरा विधानसभा की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि (धान, मक्का) पर टिकी हुई है, लेकिन यहां के लोगों का जीवन कई गंभीर चुनौतियों से घिरा हुआ है। यहां बाढ़ की समस्या और बुनियादी ढांचे की कमी के साथ साथ स्थानीय स्तर पर पेयजल संकट दिखायी देता है।
बाढ़ की समस्या: गंगा नदी के किनारे बसे होने के कारण मानसून में बाढ़ आना आम है। तटबंध अक्सर टूट जाते हैं, जिससे फसलें डूब जाती हैं और लोगों के घर उजड़ जाते हैं।
बुनियादी ढांचे की कमी: इस विधानसभा में बुनियादी ढांचे की कमी लोगों के लिए सबसे बड़ी परेशानी है। टूटी सड़कों की मरम्मत समय-समय पर होती है, लेकिन बरसात में सड़कें तालाब का रूप ले लेती हैं।
पेयजल संकट: साफ पेयजल की समस्या भी लोगों को अक्सर झेलनी पड़ती है, जिसको लेकर लोगों में आक्रोश दिखता है।
बड़हरा के स्थानीय लोगों की अपेक्षाएं चुनावी उम्मीदवारों से स्पष्ट और विकास केंद्रित हैं। लोग एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो उनकी बुनियादी समस्याओं का समाधान करे और मतदाताओं की अपेक्षाओं को पूरा करे।
1. रोजगार की व्यवस्था: स्थानीय स्तर पर रोज़गार सृजन की मांग प्रमुख है।
2. बाढ़ और सूखे पर मुआवजा: बाढ़ और सूखे के कारण खेती को होने वाले नुकसान के लिए सरकार उचित मुआवजा दे।
3. बुनियादी सुविधाओं का विस्तार: गांव-गांव में निर्बाध बिजली, साफ पेय जल सुनिश्चित हो।
4. स्वास्थ्य और शिक्षा: नई सड़कें बनाई जाएं, और स्कूलों तथा अस्पतालों में व्यवस्थाएं ठीक हों।
इस बार का चुनाव भाजपा के लिए अपनी जीत का लय बरकरार रखने और राजद के लिए अपना खोया हुआ गढ़ वापस हासिल करने की चुनौती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मतदाता उम्मीदवारों के दलबदल को नज़रअंदाज़ कर विकास के वादों पर विश्वास जताते हैं, या फिर बाढ़ और बुनियादी ढांचे की उपेक्षा के कारण सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ वोट करते हैं।
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चुनावी रणनीति के लिए बड़हरा विधानसभा सीट के मतदाताओं का विवरण देखें तो पता चलता है कि कुल जनसंख्या 5 लाख 35 हजार 008 है, जिसमें पुरुषों की संख्या 2,82,824 और महिलाओं की संख्या 2,52,184 है। वहीं कुल मतदाता 3,11,962 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,67,669 और महिला मतदाताओं की संख्या 1,44,286 है। वहीं थर्ड जेंडर मतदाताओं की कुल संख्या 7 है।






