विदेश मंत्री एस. जयशंकर, फोटो (सो. सोशल मीडिया )
SCO summit India Delegation: भारत की विदेश नीति में पिछले सात सालों से विदेश मंत्री एस. जयशंकर की सक्रिय भागीदारी रही है। आम तौर पर माना जाता है कि विदेशों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और ब्रांडिंग की जिम्मेदारी मुख्यतः उनके कंधों पर होती है। लेकिन यह बहुत कम ही देखा गया है कि प्रधानमंत्री किसी विदेश दौरे पर हों और जयशंकर उनके साथ न हों। लेकिन हाल ही में यह देखा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 अगस्त से 1 सितंबर तक जापान और चीन का दौरा करने गए, लेकिन इस बार विदेश मंत्री एस. जयशंकर उनके साथ नहीं गए।
जयशंकर ने अपने करियर में दोनों देशों में महत्वपूर्ण राजनयिक भूमिका निभाई है। वे 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे और 1996 में जापान में उपराजदूत भी रहे। बता दें कि 14 जुलाई को विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीन गए थे, जहां उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाक़ात की। इसके बाद, 18 अगस्त को वांग यी नई दिल्ली आए और उस समय भारत की ओर से बातचीत का नेतृत्व विदेश मंत्री जयशंकर ने किया। इसी वजह से सोशल मीडिया पर लोग पूछने लगे कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी के साथ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में जयशंकर क्यों नहीं गए।
सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हुई कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में क्यों अनुपस्थित रहे… जिसके बाद कुछ रिपोर्टों और सूत्रों के अनुसार ये भी बताया गया कि स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण जयशंकर बैठक में शामिल नहीं हुए। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर जयशंकर की सेहत को लेकर कोई बयान नहीं दिया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पूर्व विदेश सचिव और रूस में भारत के पूर्व राजदूत कंवल सिब्बल से जब पूछा गया कि पीएम मोदी के चीन दौरे में विदेश मंत्री जयशंकर शामिल क्यों नहीं थे, तो उन्होंने कहा कि जयशंकर के न जाने के पीछे निजी कारण रहे होंगे। उनका मानना है कि इसे लेकर कोई बड़ा मतलब निकालना सही नहीं है। विदेश नीति प्रधानमंत्री के नेतृत्व में तय की जाती है और जयशंकर केवल उसके अनुसार काम कर रहे हैं।
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वहीं, जब सलमान ख़ुर्शीद से पूछा गया कि एससीओ समिट में प्रधानमंत्री मोदी के साथ विदेश मंत्री जयशंकर क्यों नहीं थे, तो उन्होंने कहा कि आम तौर पर ऐसे बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में विदेश मंत्री प्रधानमंत्री के साथ ही होते हैं। लेकिन इस समिट में जयशंकर साथ नहीं थे, इसकी मुझे स्पष्ट जानकारी नहीं है। यह मेरे लिए भी थोड़ा आश्चर्यजनक है। ग्लोबल टाइम्स के एक लेख से कुछ संकेत मिले थे, लेकिन मैं कुछ निश्चित नहीं कह सकता। फिर भी, लोकतंत्र में जनता को यह जानने का अधिकार है कि विदेश मंत्री प्रधानमंत्री के साथ क्यों नहीं थे।