चीन ने तालिबान और पाकिस्तान की कराई दोस्ती, फोटो ( सो. सोशल मीडिया
बीजिंग: चीन अब भारत को घेरने के लिए अफगान तालिबान और पाकिस्तान के बीच रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में बीजिंग में चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की महत्वपूर्ण बैठक हुई। यह बैठक ऐसे समय में हुई जब भारत काबुल में तालिबान सरकार के साथ अपने संबंध मजबूत कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार, भारत के बढ़ते प्रभाव को देखकर चीन ने तालिबान पर जोर दिया कि वह पाकिस्तान के साथ अपने तनावपूर्ण संबंधों को सुधारें। चीन के इस दबाव का असर भी नजर आया और पाकिस्तान के विदेश मंत्री के बीजिंग दौरे के दौरान तालिबान के अमीर खान मुत्तकी भी वहां मौजूद थर। यह बैठक सिर्फ क्षेत्रीय संतुलन बदलने की कोशिश नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा रणनीतिक उद्देश्य भी छुपा हुआ है।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के बीच मुलाकात का आयोजन किया। इस दौरान मुत्तकी और डार ने इस्लामाबाद और काबुल में एक-दूसरे के राजदूतों को नियुक्त करने पर सहमति जताई और दोनों पक्षों ने अपने देशों के संबंध सुधारने का इरादा जाहिर किया। यह बातचीत ऐसे समय हुई जब वांग यी ने तालिबान को किसी बाहरी देश के हस्तक्षेप से सतर्क रहने की सलाह दी, हालांकि उन्होंने किसी विशेष देश का नाम नहीं लिया, लेकिन इस चेतावनी का संकेत भारत की ओर था।
यह भी पढें- कट्टरपंथ, टारगेट किलिंग और फ्री फिलिस्तीन के नारे…कौन है इजरायली स्टाफ का हत्यारा इलियास रोड्रिगुएज?
मुत्तकी, डार और वांग ने सीपेक (CPEC) को अफगानिस्तान तक बढ़ाने और क्षेत्रीय अंतर-कनेक्टिविटी नेटवर्क को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की है। वहीं, भारत ने CPEC के पीओके से होकर गुजरने को अपनी क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन मानते हुए इसका विरोध किया है। CPEC 2.0 न केवल चीन को पाकिस्तान में, बल्कि अफगानिस्तान में भी अपने प्रभाव को बढ़ाने का मौका देगा, जो भारत के लिए एक गंभीर रणनीतिक चुनौती साबित हो सकता है।
पाकिस्तान ने अगस्त 2021 में काबुल में तालिबान के सत्ता में लौटने का स्वागत किया था, लेकिन हाल ही में इस्लामाबाद और काबुल के बीच संबंध खराब हो गए हैं। तालिबान अब कुछ समय से पाकिस्तान के बजाय भारत की ओर झुकाव दिखा रहा है। वहीं, चीन काबुल में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान और अफगानिस्तान को एक साथ लाने की कोशिश कर रहा है, जिससे क्षेत्र में भारत के लिए चुनौतियाँ बढ़ें और उसकी पकड़ कमजोर हो।