रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन व यूक्रेन के प्रमुक वोलोडिमिर जेलेंस्की (फोटो- सोशल मीडिया)
अंकारा: रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल बाद सीधी बातचीत तुर्किए में हुई, लेकिन यह मुलाकात बिना किसी ठोस नतीजे के ही खत्म हो गया। यूक्रेन ने बातचीत की विफलता के लिए पूरी तरह रूस को जिम्मेदार ठहराया है और कहा कि मास्को की शर्तें हकीकत से पूरी तरह कटी हुई थीं। करीब दो घंटे चली इस बैठक में रूस की ओर से युद्धविराम के बदले यूक्रेनी इलाकों से उसे पूरी तरह पीछे हटने की मांग की गई, जिसे यूक्रेन ने नामुमकिन बताया। इससे शांति की उम्मीदों को फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया और जमीनी हालात और उलझते नजर आ रहे हैं।
बातचीत से पहले ही माहौल आशंकाओं से घिरा था, और इसे अमेरिकी राजनीति ने और भी उलझा दिया। अमेरिका की तरफ से पहले ही यह संकेत मिल चुके थे कि बिना उच्च स्तरीय सीधी वार्ता के किसी भी समाधान की उम्मीद कमजोर है। यूक्रेनी नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया कि बिना बिना शर्त पूर्ण युद्धविराम की प्रतिबद्धता के किसी भी चर्चा का कोई अर्थ नहीं है, और यदि ऐसा नहीं हुआ तो रूस पर और कड़े प्रतिबंधों की मांग की जाएगी।
रूसी प्रस्तावों को बताया मजाकिया
तुर्किए के इस्तांबुल में हुई बैठक में रूस की तरफ से जो शर्तें रखी गईं, उन्हें यूक्रेन ने व्यावहारिकता से कोसों दूर बताया। यूक्रेन का कहना है कि जब रूस खुद उसकी जमीन पर कब्जा जमाए बैठा है, तो फिर उन इलाकों से पीछे हटने की मांग करना पूरी तरह से अतार्किक है। यूक्रेनी प्रतिनिधियों ने इन प्रस्तावों को न केवल गैर-जिम्मेदाराना कहा बल्कि दावा किया कि रूस वास्तव में शांति नहीं, समय बर्बाद कर रहा है।
पुतिन और ट्रंप के पास है समाधान
रूस ने राष्ट्रपति स्तर की बातचीत से परहेज करते हुए केवल मध्यम स्तर का प्रतिनिधिमंडल भेजा, जिस पर यूक्रेन ने भी वैसी ही प्रतिक्रिया दी। इससे पहले अमेरिका की ओर से बयान आया था कि जब तक पुतिन और ट्रंप के बीच सीधी बात नहीं होती, तब तक कोई समाधान संभव नहीं है। यूक्रेन ने दोहराया कि अगर रूस युद्धविराम को गंभीरता से नहीं लेता, तो ऊर्जा और बैंकिंग सेक्टर पर ज्यादा कठोर प्रतिबंध लगाने चाहिए।