पुतिन -मोदी, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
PM Modi Putin Meet: भारत और रूस की रणनीतिक साझेदारी फिर से सुर्खियों में है, क्योंकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की तारीख तय हो गई है। पुतिन 5 और 6 दिसंबर 2025 को भारत का दो दिवसीय दौरा करेंगे और इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका के साथ भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।
ऐसे में पुतिन का आगमन न केवल राजनयिक स्तर पर चर्चा का विषय बनेगा, बल्कि वाशिंगटन में भी इसे लेकर चिंता बढ़ सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, इस उच्च स्तरीय दौरे से पहले रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी भारत आ सकते हैं। वे भारतीय समकक्षों के साथ बैठकें करेंगे, जिसमें शिखर वार्ता की रूपरेखा, द्विपक्षीय सहयोग और नई घोषणाओं की तैयारी पर चर्चा होने की संभावना है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने घोषणा की कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर में भारत की यात्रा पर आएंगे। उन्होंने इस दौरान भारत-रूस रिश्तों की मजबूती और साझा एजेंडे पर भी बात की। इसमें व्यापार, रक्षा और तकनीकी सहयोग, वित्त, स्वास्थ्य, मानवता से जुड़े मुद्दे, हाई-टेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों के अलावा SCO और ब्रिक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर साझेदारी को मजबूत करने की बात शामिल थी।
लावरोव ने कहा कि रूस भारत की व्यापारिक स्वायत्तता और राष्ट्रीय हितों का सम्मान करता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की भी सराहना की, जो इन्हीं राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देती है। लावरोव ने यह भी जोड़ा कि भारत अपने व्यापारिक फैसले खुद लेने में पूरी तरह सक्षम है और रूस भारत के साथ उच्च स्तर पर निरंतर संवाद बनाए रखेगा।
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रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर स्पष्ट किया कि भारत और रूस की आर्थिक साझेदारी किसी भी तरह के खतरे में नहीं है। लावरोव के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर पहले ही साफ कर चुके हैं कि भारत अपने साझेदारों का चुनाव खुद करता है।
लावरोव ने कहा कि अगर अमेरिका भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने का कोई प्रस्ताव लाता है, तो भारत शर्तों पर बातचीत के लिए तैयार है। लेकिन जब मामला भारत और किसी तीसरे देश के बीच के रिश्तों का हो तो भारत उस पर केवल संबंधित देश के साथ ही चर्चा करना पसंद करेगा।