थाईलैंड में गहराया राजनीतिक संकट (फोटो- सोशल मीडिया)
Political Crisis in Thailand: थाईलैंड की एक अदालत ने हाल ही में देश की प्रधानमंत्री तोंगटार्न शिनावात्रा को एक साल के आयोग्य ठहरा दिया था। इसी बीच थाईलैंड में राजनीतिक संकट और गहरा गया है। देश में सरकार चला रही सत्ताधारी पार्टी ने राजा से संसद भंग करने और नए चुनाव कराने की मांग की है। वहीं, मुख्य विपक्षी पीपल्स पार्टी ने भूमजैथाई पार्टी के नेता अनुतिन चारनविराकुल को अगला प्रधानमंत्री बनाने का समर्थन किया है।
हालांकि, विपक्ष का समर्थन कुछ शर्तों से जुड़ा है। जिसके मुताबिक, अनुतिन को लिखित समझौते में यह वचन देना होगा कि नई सरकार के गठन के चार महीने के भीतर संसद भंग कर चुनाव कराए जाएंगे। साथ ही, नई सरकार जनमत संग्रह कराकर नया संविधान बनाने की प्रक्रिया भी शुरू करेगी। विपक्ष लंबे समय से वर्तमान सैन्य शासन के तहत बने संविधान में बदलाव की मांग कर रहा है।
थाईलैंड में इस राजनीतिक संकट की शुरूआत तब हुई, जब पिछले हफ्ते संवैधानिक अदालत ने प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा को पद से हटा दिया। अदालत ने कहा कि उन्होंने कंबोडिया के सीनेट अध्यक्ष हुन सेन से सीमा विवाद के दौरान फोन पर बातचीत कर नैतिकता कानूनों का उल्लंघन किया। इस विवाद के कारण जुलाई में पांच दिनों तक हिंसक संघर्ष भी हुआ था।
जानकारी के मुताबिक, शिनावात्रा ने हुन सेन से बात करते हुए अपने सेना अध्यक्ष की बुराई की थी। साथ ही हुन सेन को बातचीत वो लगातार अंकल कह रही थी। अदालत ने इसे देश विरोधी मान और एक साल के लिए पद से हटा दिया।
2023 के चुनाव में पीपल्स पार्टी ने सबसे अधिक सीटें जीती थीं, लेकिन सेना समर्थित सीनेटरों ने उनके उम्मीदवार को प्रधानमंत्री बनने से रोका। इसके बाद फ्यू थाई पार्टी के नेता स्रेठा थाविसिन प्रधानमंत्री बने, लेकिन एक साल बाद उन्हें भी नैतिक उल्लंघन के कारण हटाया गया।
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स्रेठा के बाद पैतोंगटार्न ने सरकार संभाली, लेकिन उन्हें भी एक साल में पद छोड़ना पड़ा। इसी दौरान, भूमजैथाई पार्टी ने जून में कंबोडिया विवाद के बाद पैतोंगटार्न की गठबंधन सरकार का समर्थन वापस ले लिया। जिससे भूमजैथाई सरकार अल्पमत में आ गई और राजनीतिक संकट बढ़ गया।