रेयर अर्थ की पहली खेप पहुंची अमेरिका, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Rare Earths Deal: पाकिस्तान ने पहली बार दुर्लभ और महत्वपूर्ण खनिजों (रेयर अर्थ मिनरल्स) की एक खेप अमेरिका को भेजी है। यह खेप उस समझौते का हिस्सा है जो पिछले महीने एक अमेरिकी कंपनी के साथ पाकिस्तान के खनिज संसाधनों की खोज और विकास के लिए किया गया था। इस डील और खनिजों की खेप अमेरिका भेजे जाने को लेकर अब पाकिस्तान के अंदर विरोध की आवाज़ें उठने लगी हैं।
पाकिस्तान ने अपनी पहली खेप में अमेरिका को नियोडिमियम (Neodymium) और प्रैसीओडिमियम (Praseodymium) जैसे दुर्लभ खनिजों के साथ एंटिमनी (Antimony) और तांबे के कॉन्सन्ट्रेट (Copper Concentrate) का निर्यात किया है। हालांकि, इस सौदे को लेकर देश के भीतर ही विरोध शुरू हो गया है। विपक्षी पार्टी पीटीआई (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) का आरोप है कि सरकार ने संसद की मंजूरी के बिना ही अमेरिका के साथ यह डील की है।
PTI ने शहबाज शरीफ सरकार से इस पूरे समझौते की पूरी जानकारी जनता के सामने लाने की मांग की है। दरअसल, 8 सितंबर को इस्लामाबाद में अमेरिकी कंपनी यूनाइटेड स्टेट्स स्ट्रैटेजिक मेटल्स (USSM) और पाकिस्तान की फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गेनाइजेशन (FWO) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ था। इस डील पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए। समझौते के तहत अमेरिका को एंटीमनी, तांबा, सोना, टंगस्टन और अन्य दुर्लभ खनिजों का निर्यात किया जाएगा। इसके साथ ही, पाकिस्तान के भीतर खनन (माइनिंग) सुविधाएं भी स्थापित की जाएंगी।
पाकिस्तान से अमेरिका को भेजी गई पहली दुर्लभ खनिजों की खेप को दोनों देशों की सप्लाई चेन साझेदारी में अहम कदम माना जा रहा है। इससे पाकिस्तान की आमदनी बढ़ने और नए रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। अमेरिकी कंपनी USSM ने इस डिलीवरी को पाकिस्तान-अमेरिका रणनीतिक सहयोग में “ऐतिहासिक मील का पत्थर” बताया है। वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने अमेरिका को बलूचिस्तान के ग्वादर जिले स्थित पसनी पोर्ट के इस्तेमाल का प्रस्ताव भी दिया है, ताकि खनिजों का निर्यात सुगमता से हो सके।
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सितंबर में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने ट्रंप को एक उपहार बॉक्स दिया, जिसमें रेयर अर्थ मेटल्स और कीमती रत्न शामिल थे। माना जाता है कि बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में भारी मात्रा में दुर्लभ खनिज मौजूद हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान की खनिज संपदा की अनुमानित कीमत करीब 6 ट्रिलियन डॉलर है, लेकिन अब तक इनका व्यावसायिक दोहन बहुत सीमित रहा है।
PTI के प्रेस सेक्रेटरी शेख वक्कास अकरम ने कहा कि इतिहास से सबक लेने की ज़रूरत है। उन्होंने याद दिलाया कि 1615 में मुगल बादशाह जहांगीर ने सूरत बंदरगाह पर अंग्रेजों को व्यापार की अनुमति दी थी, जिसके बाद औपनिवेशिक शासन की नींव पड़ी। उनके मुताबिक, पाकिस्तान सरकार को भी ऐसे निर्णयों में सावधानी बरतनी चाहिए।